India News (इंडिया न्यूज), Iran-Israel War Impact On India: ईरान और इजरायल के बीच तनाव कम नहीं हो रहा है। दूसरी ओर, वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर भारत को नुकसान उठाना पड़ रहा है। निर्यातकों का कहना है कि पश्चिम एशियाई क्षेत्र में बढ़ते संघर्ष के कारण लॉजिस्टिक्स लागत पहले ही बहुत अधिक हो गई है। अब अगर यह और गंभीर हुआ तो कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि क्षेत्र में कारोबार को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि युद्ध में सीधे तौर पर शामिल देशों को निर्यात के लिए बीमा लागत भी बढ़ सकती है, जिसका असर भारतीय निर्यातकों की कार्यशील पूंजी पर पड़ेगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान
शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि संघर्ष पहले से ही इजरायल, जॉर्डन और लेबनान जैसे देशों के साथ भारत के व्यापार को नुकसान पहुंचा रहा है। निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIO) ने कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष में कई तरह से विश्व व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता है। FIO के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि ईरान तेल बाजार में एक प्रमुख व्यापारी है। संघर्ष में किसी भी तरह की वृद्धि से तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, खासकर उन पर जो तेल आयात पर निर्भर हैं। तेल की कीमतों में पहले ही चार डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हो चुकी है।
भारत को यहां नुकसान हो रहा है
उन्होंने कहा कि तनाव बढ़ने से पश्चिम एशिया में अस्थिरता पैदा हो सकती है, जिसका असर होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे व्यापार मार्गों पर पड़ सकता है, जिसके माध्यम से दुनिया के कच्चे तेल का एक बड़ा हिस्सा गुजरता है। सहाय ने कहा कि व्यवधानों से शिपिंग लागत और देरी बढ़ सकती है। कई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं पश्चिम एशिया की स्थिरता पर निर्भर करती हैं। यह संघर्ष परिवहन और रसद को बाधित कर सकता है, जिसका असर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कृषि तक के उद्योगों पर पड़ सकता है।
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इजराइल और ईरान के साथ भारत का व्यापार
अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ इजरायल-हमास संघर्ष अब लेबनान, सीरिया तक फैल गया है और अप्रत्यक्ष रूप से जॉर्डन और ईरान को प्रभावित कर रहा है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान भारत का इजरायल को निर्यात 639 मिलियन डॉलर रहा। वर्ष 2023-24 में यह 4.52 बिलियन डॉलर था। वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान इजरायल से आयात 46 करोड़ 94.4 लाख डॉलर था। वर्ष 2023-24 में यह दो अरब डॉलर था। इस वित्त वर्ष अप्रैल-जुलाई के दौरान भारत का ईरान को निर्यात 53 करोड़ 85.7 लाख डॉलर था। 1.22 अरब डॉलर का व्यापार 2023-24 में किया था। पहले चार महीनों के दौरान इस वित्त वर्ष में ईरान से आयात 14 करोड़ 6.9 लाख डॉलर था। वर्ष 2023-24 में यह 62 करोड़ 51.4 लाख डॉलर था।
जॉर्डन और लेबनान के साथ भारत का व्यापार
अप्रैल-जुलाई के दौरान भारक का जॉर्डन को निर्यात 22 करोड़ 85.6 लाख डॉलर था। जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.46 अरब डॉलर था। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान जॉर्डन से आयात 699.28 मिलियन डॉलर था। वर्ष 2023-24 में यह 1.4 बिलियन डॉलर था। इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान लेबनान को भारत का निर्यात 116.86 मिलियन डॉलर था। वर्ष 2023-24 में यह 344.91 मिलियन डॉलर था। इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान उस देश से आयात 39 मिलियन डॉलर था। वर्ष 2023-24 में यह 113 मिलियन डॉलर था।
भारत पश्चिम एशियाई देशों को क्या निर्यात करता है
पश्चिम एशियाई देशों को भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में बासमती चावल, मानव निर्मित धागा, वस्त्र, रत्न और आभूषण, सूती धागा और वस्त्र शामिल हैं। भारत एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हालांकि, हीरे, पेट्रोलियम उत्पाद और रसायन मुख्य रूप से द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार पर हावी हैं। हाल के वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी और उच्च तकनीक वाले उत्पादों, संचार प्रणालियों और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में व्यापार में वृद्धि देखी गई है।
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