India News (इंडिया न्यूज), Iran Mediation India Pakistan: भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद से तनाव अपने चरम पर है। हालात ऐसे हो रखे हैं कि किसी वक्त दोनों देशों के बीच जंग छिड़ सकती है। इसकी वजह से दुनिया के कई देशों को चिंता सता रही है। और वो भारत-पाकिस्तान को बातचीत के जरिए मामला शांत करने की बात कर रहे हैं।
इन्हीं देशों में ईरान भी शामिल है। जो पहले ही दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है। अब खबर सामने आ रही है कि ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागची ने 5 मई को पाकिस्तान जा रहे हैं। इसके कुछ दिन बाद उनके भारत भी आने की बात कही जा रही है।
भारत खुद लेगा अपने फैसले, तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं
पीएम मोदी के बयानों से ये साफ है कि आने वाले समय में पाकिस्तान पर बड़ी कार्यवाई होने वाली है, जिसके बाद दोनों देशों के बीच हालात और ज्यादा खराब हो जाएंगे। ईरान इससे टेंशन में है, क्योंकि ईरान नहीं चाहता कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़े और जंग के हालात बनें।
ईरान की कोशिश है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती तल्खी को कम किया जाए और अगर संभव हो तो डिप्लोमैटिक बातचीत का रास्ता खोला जाए हालांकि, भारत हमेशा की तरह इस बात पर अडिग है कि कोई तीसरा पक्ष भारत-पाकिस्तान विवाद में शामिल नहीं हो सकता।
इससे पहले भी पाकिस्तान के मसले पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने इससे इंकार कर दिया था। अमेरिका के अलावा UN और तुर्की की पेशकश भी नामंजूर कर दी है।
क्या है ईरान की मजबूरी?
सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ईरान की तरफ से शांति की बात क्यों कि जा रही है। तो बता दें कि तेहरान के लिए भारत काफी अहम है। इसके अलावा भारत चाबहार पोर्ट डेवलप कर रहा है। बाकी एनर्जी को लेकर भी भारत के साथ ईरान का सहयोग काफी अहम है।
वहीं अगर पाकिस्तान की बात करें तो ईरान उसके साथ सांप्रदायिक और सामरिक संबंधों को भी वह खोना नहीं चाहता. इसलिए ईरानी विदेश मंत्री यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने पाकिस्तान-भारत तनाव कम करने की कोशिश की है। ऐसे में सैयद अब्बास अरागची के दौरे के खास मायने हैं।