India News (इंडिया न्यूज), Islamic Nation On Pahalgam Attack : पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत का पाकिस्तान पर एक्शन जारी है। मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और वाघा-अटारी सीमा को बंद कर पड़ोसी देश पर डिप्लोमेटिक स्ट्राइक पहले ही कर दी है।
अब उन पर सैन्य कार्रवाई की मांग की जा रही है। पाकिस्तान को ये बात बहुत अच्छे से पता है कि अगर भारत के साथ जंग हुई तो उसकी सेना ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगी।
इसी डर के मारे पाक सरकार के मंत्री लगातार भारत को परमाणु जंग की धमकी दे रहे हैं। इसके साथ ही दुनिया के देशों के पास जाकर उनसे भारत के समझाने की गुहार लगा रहे हैं। इस कड़ी में पाकिस्तान मुस्लिम कार्ड खेलते हुए इस्लामिक देशों के पास जाता है। लेकिन अब लग रहा है कि इन देशों ने भी पाकिस्तान से पलड़ा झाड़ लिया है।
पाकिस्तान को लेकर मुस्लिम देशों का रुख
पाकिस्तान पर जब भी कोई मुसीबत आती है तो वो मुस्लिम देशों का दरवाजा खठ खटाता है। लेकिन कुछ समय से पाकिस्तान को लेकर मुस्लिम देशों का रुख बदला है। 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के दौरान भी देखा गया था। तब मुस्लिम दुनिया ने पाकिस्तान के साथ खड़े होने से परहेज किया था। ईरान और तुर्की कूटनीतिक एकजुटता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जबकि खाड़ी देश आर्थिक और क्षेत्रीय स्थिरता को महत्व दे रहे हैं।
चलिए जानते है कि मुस्लिम देशों का रुख इस तनाव को लेकर क्या है –
सऊदी अरब
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कतर जैसे देश भारत के साथ व्यापार, ऊर्जा निर्यात और श्रम क्षेत्र में जुड़े हुए हैं। वे पाकिस्तान को बिना शर्त समर्थन देने से बच रहे हैं, क्योंकि भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है। इसके अलावा, सऊदी अरब कश्मीर को भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा मानता है।
कतर
कतर ने इस मामले में तटस्थता भी बनाए रखी है। 2017-2021 की खाड़ी नाकाबंदी के बाद, इसकी विदेश नीति आर्थिक स्थिरता और क्षेत्रीय विवादों में तटस्थता पर केंद्रित है।
यूएई
यूएई ने सिंधु जल संधि के निलंबन पर भारत की आलोचना की, लेकिन पाकिस्तान का खुलकर समर्थन नहीं किया। 2024 में भारत के साथ यूएई का 85 बिलियन डॉलर का व्यापार और भारतीय श्रम और निवेश पर इसकी निर्भरता इसे संतुलित रुख अपनाने के लिए मजबूर करती है। 2019 में, यूएई ने अनुच्छेद 370 को भारत का आंतरिक मामला बताया।
ईरान और तुर्की के भारत के साथ रिश्ते
ईरान ने पहलगाम हमले के बाद तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है और खुद को तटस्थ पक्ष के रूप में पेश किया है। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के दौरान ईरान चुप रहा। तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया है, लेकिन इस बार उसका रुख संयमित है। 2024 में भारत के साथ तुर्की का 10 बिलियन डॉलर का व्यापार उसे भारत के साथ टकराव से बचने के लिए मजबूर कर रहा है।