India News (इंडिया न्यूज), Israel-Iran Tension : इजरायल उन देशों में शामिल है, जिसने हमेशा भारत की मदद की है। कारगिल युद्ध में जब सभी ने भारत का साथ छोड़ दिया था उस वक्त इजरायल ही था, जिसने भारत की मदद की थी। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी इजरायल ने अपना समर्थन दिया हुआ है। लेकिन अब इजरायल कुछ ऐसा करने वाला है, जिससे उसके करीबी दोस्त भारत को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
असल में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अमेरिका के खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इजरायल अपने कट्ट्रर दुश्मन ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला करने की योजना बना रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इसका असर मध्य पूर्व के तेल उत्पादक क्षेत्र पर पड़ सकता है।
इजरायल उठाएगा ये कदम, भारत पर पड़ेगा असर
ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले की योजना से ही कच्चे तेल की कीमत में आज भारी तेजी देखने को मिली है। ब्रेंट क्रूड 69 सेंट यानी 1.06% तेजी के साथ 66.07 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड 69 सेंट यानी 1.06% तेजी के साथ 66.07 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था। अगर कच्चे तेल की कीमत में तेजी आती है तो इसका भारत पर सीधा असर होगा। इसकी वजह यह है कि भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर तेल आयात करता है।
ऐसे में कच्चे तेल की कीमत में उछाल आ सकता है। इससे भारत का बजट बुरी तरह से गड़बड़ा सकता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 137 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल आयात किया, जो 2024 में 133.4 बिलियन डॉलर था।
अप्रैल से मार्च के दौरान भारत ने 234.3 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया, जो पिछले साल से 3.4% ज़्यादा है। भारत अपनी ज़रूरत का 85 प्रतिशत से ज़्यादा तेल आयात करता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तेल की कीमत में मामूली बढ़ोतरी भी भारत के लिए बहुत महंगी साबित हो सकती है।
इजरायल करेगा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला!
मीडिया में ये बात सामन आने के बाद से क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल अभी ये साफ नहीं हुआ है कि इजरायल के नेताओं ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला करने का फैसला कर लिया है या नहीं। लेकिन रिपोर्ट्स की माने तो हाल के महीनों में इसको लेकर संभावना काफी बढ़ गई है।
वहीं ट्रंप प्रशासन ईरान के साथ डील के लिए बातचीत कर रहा है। मंगलवार को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि अमेरिका यूरेनियम संवर्धन पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग कर रहा है, जो कि अतिशयोक्ति है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इससे अमेरिका और ईरान के बीच डील की संभावना पर सवाल उठने लगे हैं।
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