India News (इंडिया न्यूज), Russia Shadow Fleet: फिलहाल यूरोपीय देश फिनलैंड में एक तेल टैंकर की खूब चर्चा हो रही है। इस टैंकर को रूस के तथाकथित ‘शैडो फ्लीट’ का हिस्सा माना जाता है, जिसने पूरे यूरोप की धड़कनें बढ़ा दी हैं। आरोप है कि इस टैंकर ने बाल्टिक सागर में पानी के नीचे की केबल काट दी थी। यह घटना दिसंबर में हुई थी, जिसके बाद फिनलैंड पुलिस ने इस टैंकर को जब्त कर लिया था। हालांकि, अब पुलिस ने इसे छोड़ दिया है। ‘ईगल एस’ नाम का यह तेल टैंकर कुक आइलैंड में रजिस्टर्ड है और इस पर आरोप है कि 25 दिसंबर को इसने जानबूझकर बाल्टिक सागर की सतह पर कई किलोमीटर तक अपना लंगर घसीटा, जिससे एक इलेक्ट्रिक केबल और चार टेलीकॉम केबल को नुकसान पहुंचा।
इस मामले की जांच फिनलैंड के नेशनल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एनबीआई) को सौंपी गई, जिसने टैंकर की फोरेंसिक जांच की। पुलिस ने अपने बयान में कहा कि जांच आगे बढ़ने के बाद अब टैंकर को जब्त करने का कोई आधार नहीं है। हालांकि, टैंकर के आठ क्रू मेंबर्स पर शक बना हुआ है, जिनमें से तीन लोगों के फिनलैंड छोड़ने पर अभी भी प्रतिबंध है। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच अभी जारी है और अप्रैल के अंत तक यह पूरी हो जाएगी।
क्या है शैडो फ्लीट?
‘शैडो फ्लीट’ एक गुप्त समुद्री बेड़ा है। आरोप है कि रूस पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने और अपने तेल निर्यात को जारी रखने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहा है। यह बेड़ा रूस की आर्थिक जीवनरेखा बना हुआ है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस के तेल और गैस निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं।
कैसे काम करता है यह शैडो फ्लीट?
इस बेड़े में सैकड़ों जहाज शामिल हैं, जिनके स्वामित्व की जानकारी छिपाई जाती है या फिर फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनका स्वामित्व दिखाया जाता है। आमतौर पर ये जहाज कमजोर विनियमन वाले देशों (जैसे कुक आइलैंड, पनामा, लाइबेरिया, माल्टा आदि) में पंजीकृत होते हैं। इन जहाजों पर लगे AIS (ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) ट्रांसपोंडर को बंद कर दिया जाता है, जिससे इनका ट्रैकिंग सिस्टम निष्क्रिय हो जाता है और ये रडार से गायब हो जाते हैं। ये जहाज खुले समुद्र में दूसरे जहाजों से तेल लेते हैं और फिर उसे अलग-अलग देशों को बेचते हैं, ताकि तेल की असली उत्पत्ति को छिपाया जा सके। अक्सर यह प्रक्रिया अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका के समुद्री इलाकों में की जाती है।
रक्षा विश्लेषकों की राय
रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, रूस अपने शैडो फ्लीट में 30-40 साल पुराने जहाजों का इस्तेमाल करता है, जिन्हें पश्चिमी कंपनियां आमतौर पर कबाड़ में छोड़ देती हैं। इसके कारण कई जहाज खराब स्थिति में हैं और उनमें तेल रिसाव का खतरा बना हुआ है। पिछले साल बाल्टिक सागर में कई महत्वपूर्ण समुद्री केबल क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिसे विशेषज्ञ पश्चिमी देशों के खिलाफ रूस द्वारा छेड़े गए ‘हाइब्रिड युद्ध’ का हिस्सा मानते हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद फिनलैंड और स्वीडन 2022 में नाटो में शामिल हो गए, जिसके बाद हाल के महीनों में बाल्टिक सागर में सैन्य निगरानी बढ़ा दी गई है।
साली ने किया जीजा का मर्डर! बहन ने दिया इनाम, जब खुली सच्चाई तो पुलिस के पैरों तले से खिसक गई जमीन
बाल्टिक सागर
बाल्टिक सागर के आसपास स्थित नौ देशों के बीच बिजली, संचार और गैस पाइपलाइनें जुड़ी हुई हैं। इनमें से कुछ मुख्य कनेक्शन हैं: 152 किलोमीटर लंबी बाल्टिक कनेक्टर गैस पाइपलाइन, जो फिनलैंड और एस्टोनिया को जोड़ती है, स्वीडन और जर्मनी के पावर ग्रिड को जोड़ने वाली हाई-वोल्टेज बाल्टिक केबल और 1173 किलोमीटर लंबी सी-लायन1 दूरसंचार केबल, जो फिनलैंड से जर्मनी तक फैली हुई है।
अंडरसी केबल क्यों महत्वपूर्ण हैं?
अंडरसी केबल और पाइपलाइन वैश्विक अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करते हैं, घरों को गर्म करने में मदद करते हैं और अरबों लोगों को जोड़ते हैं। टेलीजियोग्राफी के अनुसार, दुनिया भर में 1.3 मिलियन किलोमीटर से अधिक फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाई गई हैं, जो चंद्रमा तक जाने और वापस आने के लिए पर्याप्त हैं। ये केबल आमतौर पर एक बगीचे की नली के आकार की होती हैं, लेकिन वे दुनिया के 97% संचार को ले जाती हैं, जिसमें हर दिन खरबों डॉलर के वित्तीय लेनदेन शामिल हैं।
बाल्टिक सागर में अंडरसी केबल पर बढ़ते हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, और नाटो लगातार इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है।