India News (इंडिया न्यूज), Chrystia Freeland Resigned : खालिस्तानियों के साथ मिलकर भारत को आंख दिखाने वाले जस्टिन ट्रूडो आज बड़ी मुश्किल में फंसे हुए हैं। कनाडा डिप्टी पीएम और की वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफा देने के बाद जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी डगमगाने लगी है। वहीं जिन खालिस्तान समर्थकों की वजह से भारत से पंगा लेने वाले ट्रूडो के करीबी यार जगमीत सिंह भी उनके इस्तीफे के पीछे पड़े हुए हैं। सोमवार को क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे ने सभी को हिलाकर रख दिया है। खबरों के मुताबिक ट्रूडो चाहते थे कि फ्रीलैंड वित्त की जगह कोई और विभाग अपने पास रखें. मगर डिप्टी पीएम फ्रीलैंड को यह मंजूर न था। इसी वजह से फ्रीलैंड ने उन्होंने इस्तीफा दे दिया। फ्रीलैंड के इस फैसले की ट्रूडो की जरा भी उम्मीद नहीं थी।

कौन हैं क्रिस्टिया फ्रीलैंड?

क्रिस्टिया फ्रीलैंड का जन्म 1968 में पीस रिवर, अल्बर्टा में हुआ था। उनका पूरा नाम क्रिस्टिया फ्रीलैंड का पूरा नाम क्रिस्टीना एलेक्जेंड्रा फ्रीलैंड है। पढ़ाई की बात करें तो क्रिस्टिया ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्लावोनिक स्टडीज में मास्टर डिग्री हासिल की है। इसके अलाव वो मीडिया जगत का जाना माना नाम रही हैं। फाइनेंशियल टाइम्स, द ग्लोब एंड मेल और रॉयटर्स जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में संपादकीय पदों पर काम कर चुकी हैं।

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2013 में रखा राजनीति में कदम

पत्रकारिता में नाम बनाने के बाद क्रिस्टिया ने 2013 में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने 2013 में ही लिबरल पार्टी के टिकट पर टोरंटो सेंटर सीट से जीत हासिल की। उसके बाद साल 2015 में नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने उन्हें अपनी पहली कैबिनेट में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री बनाया। इसके बाद 2019 में उन्हें डिप्टी पीएम का पदा दिया गया। 2020 में क्रिस्टिया फ्रीलैंड को वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। सोमवार को उन्होंने इन दोनों ही पदों से इस्तीफा दे दिया।

अपने इस्तीफे में क्रिस्टिया ने किया लिखा

सोमवार को दिए इस्तीफे में क्रिस्टिया ने लिखा कि पीएम ने उन्हें शुक्रवार को ही बता दिया था कि वो उन्हें वित्त मंत्रालय से हटाने वाले हैं. पीएम ने उन्हें कैबिनेट में कोई दूसरा पद देने की पेशकश भी की थी, लेकिन उन्होंने ये साफ नहीं किया था कि वो उन्हें कौन सा पद देंगे। इसके बाद क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने फैसला लिया कि उनके पास कैबिनेट से इस्तीफा देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। उन्होंने अपने पत्र में जस्टिन ट्रूडो को संबोधित करते हुए लिखा कि अपना फैसला लेते वक्त ये साफ कर दिया कि अब आप मुझ पर भरोसा नहीं करते और ना ही आपको लगता है कि मेरे पास वो अधिकार है जो इस पद के साथ आते हैं।

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