India News (इंडिया न्यूज), Justin Trudeau Meet PM Modi: लाओस में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संक्षिप्त बातचीत हुई। इस दौरान ट्रूडो ने खुद इस बात की जानकारी दी। दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब पिछले एक साल से कनाडा और भारत के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं। दरअसल, ट्रूडो ने भारत से कुछ वास्तविक मुद्दों को सुलझाने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये मुद्दे क्या हैं। लेकिन माना जा रहा है कि कनाडा की ट्रूडो सरकार खालिस्तानी आतंकवादियों पर भारत की कार्रवाई से परेशान है।
ट्रूडो ने क्या कहा?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि भारत के साथ वास्तविक मुद्दे हैं, जिन्हें हमें सुलझाने की जरूरत है। हम पिछले कुछ महीनों में देश भर में भारतीय कनाडाई लोगों के खिलाफ हिंसा का एक परेशान करने वाला पैटर्न देख रहे हैं। ट्रूडो ने आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के साथ अपनी बातचीत के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की। लेकिन उन्होंने कहा कि दोनों देशों को कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मैंने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें कुछ मुद्दों पर काम करने की जरूरत है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने आगे कहा कि कनाडा सरकार का अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है, और मैं इस पर ध्यान केंद्रित करूंगा।
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भारत ने दिया दो टूक जवाब
जस्टिन ट्रूडो द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में भारत सरकार के सूत्रों को भी जानकारी है। हालांकि, सूत्रों ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों को नहीं होने दिया जाएगा और कनाडा की धरती से भारत के खिलाफ हिंसा, उग्रवाद और आतंकवाद की वकालत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो अभी तक नहीं की गई है। भारत कनाडा के साथ संबंधों को महत्व देता है, लेकिन जब तक कनाडा सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने वालों और भारत के साथ-साथ कनाडा में भी नफरत, गलत सूचना, सांप्रदायिक विद्वेष और हिंसा को बढ़ावा देने की साजिश रचने वालों के खिलाफ सख्त और सत्यापन योग्य कार्रवाई नहीं करती, तब तक इनमें सुधार नहीं हो सकता।