India News (इंडिया न्यूज), Kalash Tribe Women : पाकिस्तान में महिलाओं को खुलकर जीने की फ्रीडम नहीं है। वहां पर महिलाओं को पुरषों के आगे दबकर रहना पढ़ता है। जो मर्द कहते हैं वहीं वो लोग करती हैं। लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि, पाकिस्तान में आज भी एक ऐसी जनजाति है, जहां महिलाओं को काफी फ्रीडम मिली हुई है। फ्रीडम का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकता हैं कि इस समुदाय की महिलाएं अपने पति को छोड़कर गैर-मर्द से शादी कर सकती हैं। यहां पर हम कलाशा नामक जनजाति की बात कर रहे हैं। ये जनजाति पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में अफगानिस्तान के बॉर्डर पर चित्राल घाटी में बिरीर, बाम्बुराते और रामबुर इलाके में रहती है। इस जनजाति की आबादू 4 हजार के आस-पास है। कलाशा जनजाति का कल्चर पाकिस्तान के कल्चर से एकदम अलग है।
कलाशा जनजाति का नाम पाकिस्तान के सबसे कम संख्या वाले अल्पसंख्यकों की सूची में आता है। इस समुदाय की किसी भी महिला को कोई गैर मर्द पसंद आ जाता है तो वह अपनी शादी तोड़कर उस मर्द से शादी कर लेती हैं। हिंदू कुश पहाड़ों से घिरे इलाके में इस समुदाय के लोग रहते हैं। इस समुदाय का मानना है कि हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला से घिरा होने के कारण उसकी सभ्यता सुरक्षित है।
कलाशा जनजाति का इतिहास
कलाशा जनजाति के लोग संगीत पसंद करते हैं। अपने त्यौहारों में ये बांसुरी और ड्रम बजाते हैं तथा नाचते-गाते हैं। पाकिस्तान के बहुसंख्यकों के डर से यहां के लोग अपने पारंपरिक अस्त्र का उपयोग करते हैं। इसके अलावा अत्याधुनिक बंदूक भी अपने पास रखते हैं। इस समयुद के लोगों के तीन मुख्य त्यौहार Camos, Joshi और Uchaw हैं। Camos को ये अपना सबसे बड़ा त्यौहार मानते हैं। यह दिसंबर महीने में मनाया जाता है। इसके अलावा कलाशा जनजाति के लोग समुदाय के लोगों को सिकंदर का वंशज भी कहा जाता है। इस समुदाय के लोग यहां लकड़ी और मिट्टी से बने छोटे घरों में रहते हैं।
महिलाएं कर रही हैं कमाई
जानकारी के मुताबिक समुदाय में कमाई के ज्यादातर काम औरतों ने ही संभाल रखे हैं। समुदाय की औरतें भेड़-बकरियों को चराने पहाड़ों पर जाती हैं। इसके अलावा घर पर रंगीन मालाएं और पर्स बनाती हैं। महिलाएं सजने-संवरने की बहुत शौकीन होती हैं और अपने सिर पर खास किस्म की टोपी तथा गले में पत्थर की रंगीन मालाएं पहनती हैं।
मरने पर पीते हैं शराब
सबसे हैरान करने वाली बता ये है कि इस समुदाय के लिए मौत रोने का नहीं बल्कि ‘खुशी का मौका’ होता है। अंतिम संस्कार के दौरान इस समुदाय के लोग खुशी मनाते हुए नाचते-गाते हैं तथा शराब पीते हैं। इस समुदाय के लोगों का मानना है कि जो भी नीचे आया है, वह ऊपरवाले की मर्जी से आया है और फिर उसी के पास लौटकर चला गया है।