India News (इंडिया न्यूज), Khalistani Arsh Dalla: खालिस्तानी आतंकी अर्श दल्ला भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। वह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का करीबी गैंगस्टर रहा है। साथ ही कनाडा में सालों से रह रहा है और ट्रूडो सरकार की नाक के नीचे गैंग और भारत विरोधी अभियान चला रहा है। अर्श दल्ला को भारत सरकार ने आतंकी घोषित किया हुआ है और भारत में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। वहीं जब अर्श दल्ला गिरफ्तार हो गया है तो ट्रूडो सरकार उसे बचाने में जुट गई है। खालिस्तानी वोट बैंक के चलते ट्रूडो सरकार आतंकी को भारत को नहीं सौंपना चाहती है। हालांकि भारत भी चुप बैठने वाला नहीं है।
अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने अपनी चाल चल दी है। दरअसल खालिस्तान टाइगर फोर्स के चीफ अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला को कनाडा में गिरफ्तार किया गया है।
दल्ला की गिरफ्तारी पर भारत ने क्या कहा?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने आतंकी अर्श दल्ला की गिरफ्तारी पर कहा कि हमने 10 नवंबर से खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख आतंकवादी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला की कनाडा में गिरफ्तारी पर मीडिया रिपोर्ट देखी। कनाडाई मीडिया ने गिरफ्तारी की खबर दी है। गिरफ्तारी के मद्देनजर हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी। अर्श दल्ला के भारत में आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उम्मीद है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा।
दरअसल, अर्श दल्ला हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आतंकवाद के वित्तपोषण सहित आतंकवादी कृत्यों के 50 से अधिक मामलों में घोषित अपराधी है। मई 2022 में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। 2023 में उसे भारत में आतंकवादी घोषित किया गया।
क्यों बचा रही है ट्रूडो सरकार?
बता दें कि, जुलाई 2023 में भारत सरकार ने कनाडा सरकार से उसकी अस्थायी गिरफ्तारी के लिए अनुरोध किया। लेकिन ट्रूडो की सरकार ने इसे खारिज कर दिया। भारत सरकार ने कई सबूत दिए हैं। भारत 2023 में फिर से कनाडा से अर्श दल्ला के प्रत्यर्पण का अनुरोध करेगा। दरअसल, कनाडा सरकार अर्श दल्ला को भारत को सौंपकर अपने वोट बैंक को ख़राब नहीं होने देना चाहती। अगर कनाडा सरकार अर्श दल्ला को भारत को सौंपती है तो खालिस्तानी वोट बैंक ट्रूडो सरकार से नाराज हो जाएगा। आगामी चुनावों को देखते हुए ट्रूडो ऐसा नहीं करेंगे। यही वजह है कि उनके मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी गई है। साथ ही कनाडा भारत के प्रत्यर्पण अनुरोधों को खारिज करता रहा है।