India News (इंडिया न्यूज), Khyaber Pakhtunkhwa CM Gandapur: पाकिस्तान की राजनीति हमेशा अस्थिर बनी रहती है। और एक बार फिर वहां उथल-पुथल की स्थति बनी हुई है। खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने दावा किया है कि मौजूदा शाहबाज शरीफ सरकार अब चंद दिनों की मेहमान है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान की वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं।
गंडापुर ने गुरुवार को लाहौर हाईकोर्ट बार में वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि पीटीआई संस्थापक इमरान खान बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह पहल न तो पार्टी के हित में है और न ही सत्ता की लालसा से प्रेरित है। यह सब पाकिस्तान के भविष्य के लिए किया जा रहा है।
संविधान और कानून का राज चाहते हैं इमरान
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि इमरान खान देश में कानून का राज देखना चाहते हैं और उनकी इच्छा है कि पाकिस्तान एक आत्मनिर्भर और संप्रभु राष्ट्र बने। गंदापुर ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे किसी भी तरह के ऐसे बयान से बचें जिससे पार्टी या उसके नेता की छवि को नुकसान पहुंचे। उन्होंने भरोसा जताया कि हमारी जीत अब दूर नहीं है।
खैबर पख्तूनख्वा अब सबसे अमीर प्रांत
गंडापुर ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए दावा किया कि केपी अब पाकिस्तान का सबसे अमीर प्रांत बन गया है। उन्होंने कहा है कि हमने भ्रष्टाचार को खत्म किया है और संसाधनों का ईमानदारी से इस्तेमाल किया है। इस बयान को पीटीआई की प्रशासनिक क्षमता दिखाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। एक तरह से यह संकेत है कि अगर इमरान खान वापस आते हैं तो यह मॉडल पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
‘बातचीत की पहल मेरा निजी प्रयास’
गंडापुर ने यह भी स्पष्ट किया कि इमरान खान ने उनसे बातचीत शुरू करने के लिए नहीं कहा। उन्होंने कहा कि मैं यह सब अपने निजी प्रयासों के तहत कर रहा हूं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कुछ बातें पार्टी प्रमुख से साझा नहीं की हैं। संस्थापक किसी भी कीमत पर सौदा नहीं करेंगे। मैं उनकी तरफ से यह लड़ाई लड़ रहा हूं।
शाहबाज सरकार पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? गंडापुर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब शाहबाज शरीफ सरकार आर्थिक संकट, महंगाई और विपक्ष के बढ़ते दबाव का सामना कर रही है। वहीं, इमरान खान की पार्टी को खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब जैसे महत्वपूर्ण प्रांतों में लगातार जनता का समर्थन मिल रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक, गंडापुर का यह दावा महज एक राजनीतिक बयान नहीं है बल्कि आने वाले समय में संभावित राजनीतिक बदलावों का संकेत है।