India News (इंडिया न्यूज), Laws Are Made By Biscuits : दुनिया के कई देशों में कायदे कानून बनाने के लिए अलग-अलग नियम होते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि एक ऐसा देश भी है, जहां पर सजावटी बिस्किट टिन से भविष्य के कानूनों का चयन किया जाता है। शायद आपको यकिन ना हो, लेकिन ये सच है। यहां पर हम न्यूजीलैंड की बात कर रहे हैं, जहां की संसद में भविष्य के कानूनों का चयन सजावटी बिस्किट टिन से किया जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ये टिन किसी कंप्यूटर सिस्टम की बजाय बिंगो टोकन के सहारे हिलाया जाता है और उसमें से बिल चुने जाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘बिस्किट टिन लॉटरी’ कहा जाता है। इसका उद्देश्य है हर सांसद को बिना राजनीतिक पक्षपात के अपना प्रस्तावित कानून संसद में लाने का मौका देना।
कैसे होती है ‘बिस्किट टिन लॉटरी’ की प्रक्रिया?
रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यूजीलैंड की संसद में टिन की शुरुआत 1990 के दशक में वेलिंगटन के एक डिपार्टमेंटल स्टोर से खरीदे गए कंटेनर से हुई थी। इस टिन में बिंगो टोकन डाले जाते हैं। जिन पर संसद में लंबित प्रस्तावों के नंबर होते हैं। जब भी संसद के एजेंडा में जगह खाली होती है तो इस बिस्किट टिन को बाहर निकाला जाता है और एक सार्वजनिक समारोह में नए बिल चुने जाते हैं. यह प्रक्रिया अब संसद की एक लोकतांत्रिक और चहेती परंपरा बन चुकी है।
लॉटरी से चुने गए तीन नए प्रस्तावों पर होती है बहस
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर पखवाड़े एक बार संसद इस लॉटरी के जरिए चुने गए तीन नए प्रस्तावों पर चर्चा करती है। इनमें वे कानून शामिल होते हैं जिन्हें जोखिम भरा या विवादास्पद माना जाता है और जिनका राजनीतिक दल आमतौर पर समर्थन नहीं करते।
दिलचस्प बात यह है कि समलैंगिक विवाह और इच्छामृत्यु जैसे बड़े कानून भी इसी लॉटरी के जरिए न्यूजीलैंड में पारित किए गए हैं। इन कानूनों के लिए चुने गए सांसदों ने जनता का समर्थन जुटाया और अपने साथियों को राजी किया।
न्यूजीलैंड में बिस्किट का डिब्बा इतना मशहूर हो गया है कि यह वहां की लोकतांत्रिक पहचान का प्रतीक बन गया है। इतना ही नहीं, संसद की गिफ्ट शॉप में इसके डिजाइन वाले मोजे और मग भी बिकते हैं।