India News (इंडिया न्यूज), Los Angeles Wildfires : दुनिया में खुद को सुपर पावर कहने वाला अमेरिका, इस वक्त घुटनों पर आ गया है। इसके पीछे की वजह कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एंजेलिस में फैली भयावह आग है। ये आग अभी तक जमकर तबाही मचा चुकी है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि अब तक कैलिफोर्निया में लगी इस भीषण आग में अब तक 10 हजार से ज्यादा इमारतें जलकर राख हो गई हैं और 11 लोगों की जान जा चुकी है। 1,80,000 से ज्यादा लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं और लाखों अन्य लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं 10 लोगों की अब तक मौत भी हो चुकी है।
पिछले साल भारत में भी उत्तराखंड के जंगलों में कुछ ऐसी ही तबाही मची थी। भीषण आग ने 41 दिनों तक अल्मोड़ा के जंगलों में कहर बरपाया था। इस दौरान कई हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई थी। अब लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि हरे-भरे जंगलों में आग कैसे लग जाती है? और दुनिया का सबसे बड़ा अग्निकांड कहां हुआ था? चलिए जानते हैं
जंगलों में कैसे लग जाती है आग
जानकारों के मुताबिक जंगलों में आग लगने के दो कारण होता है, पहला प्राकृतिक और दूसरा अप्राकृतिक। आमतौर पर आग को जलने के लिए दो चीजों ऑक्सीजन और तापमान की जरूरत होती है और जंगल ऐसी जगह है, जहां ये दोनों चीजें बखूबी मिलती हैं और यहां की सूखी लड़कियां इस आग के लिए फ्यूल की तरह काम करती हैं। इसी वजह से ज्यादा गर्मी या फिर बिजली गिरने पर जरा सी चिंगारी भीषण आग का रूप ले लेती है। वहीं तेज हवाओं के कारण आग पर काबू करना मुश्किल हो जाता है और आग तेजी से फैलती है।
इसके अलावा अप्राकृतिक कारणों की बात करें तो बीते कुछ सालों में हरे भरे जंगलों में इंसानों के पहुंचने का सिलसिला काफी बढ़ा है। छुट्टियां मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग जंगलों में कैंपिंग करते हैं। इस दौरान जरा सी लापरवाही जंगल में आग का कारण बन जाती है।
अमेरिका का 1910 में हुआ अग्निकांड
साल 1910 में अमेरिका के इनलैंड नॉर्थवेस्ट में जंगल में लाग लग गई। इस आग ने पश्चिमी मोंटाना और उत्तरी इडाहो में तीन मिलियन एकड़ जमीन को जलाकर खाक कर दिया था। इस विनाशकारी आग की वजह 85 लोगों की मौत हुइ थी, जिसमें 78 फायरफाइटर्स थे। अग्निकांड का इतना भीषण होने का बड़ा कारण यहां 70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं थीं, जिसे कारण आग बेकाबू हो गई और एक बड़े इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। 23 अगस्त को बारिश के बाद इस आग पर काबू पाया गया था।