India News (इंडिया न्यूज), Israel Hamas War: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इजरायल सेना युद्ध लड़ने को तैयार नहीं हो रहा है। कई रिपोर्टों में ये दावा किया जा रहा है कि. इजरायल में सैनिकों की भारी कमी पड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ लगातार हमास और हिजबुल्लाह से जंग लड़ने के बाद भी इजरायली बंधकों की वापसी नहीं हो पा रही है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लाख कोशिशों के बावजूद इजरायली बंधकों की वापसी संभव नहीं हो पा रही है। 

इस वजह से सत्ता से बेदखल हो सकते हैं नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। युद्ध के एक साल बाद भी इजरायली बंधकों की वापसी न होना उनके सत्ता से बेदखल होने का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। बंधक समझौते को लेकर इजरायल की सड़कों पर हर दिन प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हिजबुल्लाह भी लेबनान की धरती से हर दिन इजरायली शहरों पर हमला कर रहा है। नेतन्याहू दोनों पक्षों में से किसी पर भी पूर्ण युद्धविराम के लिए तैयार नहीं हैं और अब तक के प्रस्तावों में उन्होंने ऐसी शर्तें रखी हैं, जिससे मध्यस्थों के लिए शांति प्रस्ताव को लागू करना और भी मुश्किल हो गया है। 

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नेतन्याहू ने बुलाई आपातकालीन बैठक

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने सैनिकों पर सैन्य अभियान के जरिए बंधकों को रिहा करने का दबाव बना रहे हैं, जबकि पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा है कि सेना ने गाजा में अपनी अधिकतम कार्रवाई पूरी कर ली है और अब बंधकों की रिहाई कूटनीतिक चैनलों के जरिए ही हो सकती है। जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में बंधकों की रिहाई को लेकर रविवार शाम विशेष मंत्रियों और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ आपात बैठक बुलाई। रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में कथित तौर पर सहमति बनी कि बंधकों को रिहा करवाने के लिए हमास के साथ युद्ध विराम ही एकमात्र रास्ता है। 

याह्या शिनवार की मौत के बाद भी नहीं बदला हमास का रुख

अज्ञात सूत्रों ने कई हिब्रू मीडिया आउटलेट्स को बताया कि तेल अवीव में रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय में हुई बैठक में शिन बेट, आईडीएफ और मोसाद के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए थे। सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों ने सरकारी मंत्रियों को बताया कि, लीडर की मौत के बाद भी हमास का रुख बदला नहीं है, उन्होंने कहा ऐसी मांगों पर सहमत होना ही किसी समझौते पर पहुंचने का एकमात्र तरीका होगा। जबकि एजेंसियों ने पिछले महीने इसके नेता याह्या सिनवार को भी मार गिराया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया कि नेता की मौत के बाद भी हमास का रुख नहीं बदला है, उन्होंने कहा कि ऐसी मांगों को मानना ​​ही समझौते तक पहुंचने का एकमात्र तरीका होगा।

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युद्ध विराम के लिए क्या है हमास की शर्त?

जानकारी के अनुसार, शुरुआत से ही हमास चाहता है कि, वह किसी भी अस्थायी युद्ध विराम को स्वीकार नहीं करेगा। हमास का कहना है कि इजरायल को गाजा से अपनी सेना वापस बुलानी चाहिए, गाजा में पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता पर प्रतिबंध हटाए जाने चाहिए और पूर्ण युद्ध विराम होना चाहिए। लेबनान के एक राजनीतिक सूत्र ने सोमवार को रॉयटर्स को बताया कि अमेरिका के विशेष दूत अमोस होचस्टीन हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच युद्ध विराम पर बातचीत करने के लिए मंगलवार को बेरूत आ रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि लेबनान ने अमेरिका द्वारा पेश किए गए युद्ध विराम प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री ने कसम खाई है कि वह हिजबुल्लाह के खात्मे तक अपना अभियान जारी रखेंगे।

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