दुनिया में बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के प्रकोप से पूरी दुनिया परेशान है। जिसके बाद हाल ही में किए गए एक रिसर्च से पता चला है कि मेटावर्स (Metaverse) ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में मददगार साबित हो सकता है। दरअसल इस रिसर्च में दावा किया गया है कि, मेटावर्स वर्चुअल 3डी डिजिटल वर्ल्ड सदी के अंत तक वैश्विक सतह के तापमान को 0.02 डिग्री सेल्सियस तक कम करने की क्षमता रखता है।

जानिए रिसर्च की मुख्य बातें

बता दें कि, जर्नल एनर्जी एंड एनवायरनमेंटल साइंस के द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में ये बताया गया है कि, मेटावर्स की मदद से ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करने की क्षमता रखता है। ये निष्कर्ष नीति निर्माताओं को यह समझने में सहायता कर सकते हैं कि कैसे मेटावर्स इंडस्ट्री की वृद्धि नेट-शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों की दिशा में प्रोग्रेस को गति दे सकती है और अधिक फ्लेक्सीबल डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों को चला सकती है। इस अध्यन में ये भी बताया गया है कि, एयर क्वालिटी में सुधार के लिए मेटावर्स-आधारित रिमोट वर्किंग, डिस्टेंस लर्निंग और वर्चुअल टूरिज्म के संभावित फायदे के बारे में भी चर्चा किया गया है। वहीं अध्यन में दावा किया गया है कि, परिवहन और वाणिज्यिक ऊर्जा के उपयोग को कम करके मेटावर्स आवासीय क्षेत्र की ओर निर्देशित अधिक ऊर्जा आपूर्ति के साथ ऊर्जा वितरण को बदलने में भी अपना योगदान दे सकता है।

जानिए क्या कहते है प्रफोसेर फेंग्की यू

वहीं इस दावे के बारे में पूर्ण रुप से जानकीरी देते हुए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एनर्जी सिस्टम इंजीनियरिंग के प्रोफेसर फेंग्की यू ने बताया कि, अध्ययन का उद्देश्य इस तकनीक की ऊर्जा और जलवायु प्रभावों को समझना है और इसके लिए सांख्यिकीय महत्व, संभावित रास्ते और उपलब्ध डाटा का विश्लेषण करने के लिए कठोर सिस्टम एनालिटिक्स का उपयोग किया गया है।

मेटावर्स विस्तार करने का मकसद

वहीं रिसर्चर ने मेटावर्स को 2050 तक विस्तार का अनुमान लगाया है। जिसके बाद इसके बारे में पूरी जानकारी देते हुए एक पत्रिका ने बताया कि, रिसर्च में अलग-अलग एडॉप्ट किए जा सकने वाले ट्रॉजेक्ट्रीज पर विचार करते हुए टेलीविजन, इंटरनेट और स्मार्टफोन जैसी पिछली तकनीकों को ध्यान में रखते हुए इसके विस्तार-स्लो, नॉमिनल और फास्ट का अनुमान लगाया गया है। इसके बाद रिसर्च में कहा गया है कि, मेटावर्स की सीमाएं हैं, लेकिन यदि उचित तरीके से लाभ उठाया जाए, तो मेटावर्स जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह वैश्विक सतह के तापमान को 0.02 डिग्री तक कम कर सकता है।

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