India News (इंडिया न्यूज), Middle East War: इजरायल और ईरान संघर्ष की वजह से पिछले एक हफ्ते में मध्य पूर्व के हालात तेजी से बदले हैं। हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हनियेह की हत्या के दो महीने बाद ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमला किया। अब इजरायल भी ईरान को जवाब देने की बात कर रहा है। वहीं अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। भारतीय नौसेना के तीन जहाज भी इस समय ईरान के बंदरगाह पर पहुंच चुके हैं। हालांकि भारत की भूमिका इजरायल और ईरान के बीच छिड़े युद्ध में दोनों देशों को शांति का संदेश देने की है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आदेश दिया है कि जल्द ही मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिकों की कुल संख्या 43,000 तक पहुंच जाएगी। फिलहाल अलग-अलग देशों में कुल 40 हजार अमेरिकी सैनिक हैं।

अमेरिका के अलावा इस देश ने किया इजरायल का समर्थन

बता दें कि, इस युद्ध में अमेरिका इजरायल के साथ हमेशा से खड़ा है। वहीं युद्ध के खतरे को भांपते हुए अमेरिका ने मध्य पूर्व में अतिरिक्त तीन हजार सैनिक भेजने का ऐलान किया है। दरअसल, पिछले साल गाजा में इजरायल की कार्रवाई के बाद कुछ समय के लिए इसे बढ़ाकर करीब 50 हजार कर दिया गया था। जो पहले 35 हजार था। वहीं अब अमेरिका के साथ-साथ नाटो में उसके सबसे खास साथी ब्रिटेन ने भी मध्य पूर्व में अपनी सेना बढ़ाने का ऐलान किया है। साथ ही पिछले कुछ दिनों में ब्रिटेन ने पश्चिम एशिया में 700 अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। मध्य पूर्व के एक देश साइप्रस में ब्रिटिश सैन्य स्टेशन स्थापित किए गए हैं। यह देश काला सागर में स्थित है।

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ईरानी बंदरगाह पर भारतीय नौसेना के 3 बड़े जहाज मौजूद

दरअसल, भारत के लिए इजरायल और ईरान दोनों के बराबर है। हालांकि इसके बावजूद तनाव के समय में मध्य पूर्व में अचानक भारतीय सेना की तैनाती बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह जाती है। भारतीय नौसेना के तीन जहाज इस समय ईरान के बंदरगाह पर खड़े हैं। मंगलवार को फारस की खाड़ी में प्रशिक्षण मिशन के तहत भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस शार्दुल, आईएनएस तीर और आईसीजीएस वीरा ईरान के बंदर अब्बास पहुंचे। भारतीय नौसेना के इन जहाजों का ईरानी नौसेना के जहाज ज़रेह ने स्वागत किया। यह कदम भारत और ईरान के बीच नौसैनिक सहयोग बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है।

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