India News (इंडिया न्यूज), Bangladeshi Woman Journalist Heckled By Mob: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब एक और मामला सामने आया है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक महिला पत्रकार को भीड़ ने घेर लिया और कुछ देर तक बंधक बनाए रखा। पुलिस ने उसे भीड़ से छुड़ाया। घटना शनिवार (30 नवंबर, 2024) की बताई जा रही है। जोकि कवारन बाजार इलाके में घटित हुई है। जानकारी के अनुसार, जब टीवी पर्सनालिटी मुन्नी साहा एक मीडिया कंपनी के दफ्तर से बाहर निकल रही थीं। भीड़ ने मुन्नी साहा पर भारतीय एजेंट और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की समर्थक होने का आरोप लगाया।
नारा लगाती रही भीड़
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार मुन्नी साहा की कार को भीड़ ने रोक लिया और उनके साथ बदसलूकी की, जिसके बाद ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा। साहा पुलिस की गाड़ी में बैठकर वहां से चली गईं, जबकि भीड़ उनके खिलाफ नारे लगाती रही। साहा को पहले तेजगांव पुलिस स्टेशन ले जाया गया और यहां से ढाका मेट्रोपॉलिटन डिटेक्टिव ब्रांच ऑफिस लाया गया। इससे ऑनलाइन अटकलें लगाई जाने लगीं कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि, बाद में पुलिस ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ पत्रकार मुन्नी साहा को हिरासत में नहीं लिया गया और रविवार सुबह उन्हें रिहा कर दिया गया।
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साहा ने कही ये बात
साहा ने कहा कि जब भीड़ ने उन्हें घेर लिया, तो उन्हें घबराहट का दौरा पड़ा और वे बीमार पड़ गईं। एक पुलिस अधिकारी ने बांग्लादेशी न्यूज आउटलेट डेली ऑब्जर्वर को बताया, ‘पुलिस ने मुन्नी साहा को हिरासत में नहीं लिया। कवारन बाजार में लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया था। तेजगांव पुलिस उन्हें सुरक्षा कारणों से डिटेक्टिव ब्रांच ऑफिस ले गई।’ अधिकारी ने कहा कि मुन्नी साहा चार मामलों में आरोपी हैं। उन्हें जमानत लेने और भविष्य के पुलिस समन का पालन करने के लिए अदालत में पेश होना होगा। पत्रकार साहा को परेशान करने वाली भीड़ के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पुलिस की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
शेख हसीना की सरकार गिरने पर हुए कई गंभीर मामले
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से हिंदुओं पर अत्याचार, मंदिरों पर हमला और पत्रकारों को भीड़ द्वारा निशाना बनाए जाने के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा दर्जनों पत्रकारों को आलोचना, पक्षपात के आरोपों और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कई पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी है और कई पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। हाल के दिनों में प्रोथोम अलो और डेली स्टार जैसे प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं।
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