India News (इंडिया न्यूज), Pillars Of Islam : इस्लाम में ऊदी अरब के मक्का शहर में काबा को दुनिया में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। हर साल दुनियाभर से मुसलमान यहां पर पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां पर एक ऐसा मैदान भी है जहां पर पहुंचकर मुसलमान अपनी गलतियों की माफी मांगते हैं। अगर आपको नहीं पता तो आज उस मैदान के बारे में जानते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इस्लाम के पांच स्तंभ होते हैं। हज यात्रा उन पांच स्तंभों में शामिल है। प्राचीन समय से ही इस्लाम में हज यात्रा काफी ज्यादा अहम है।

इस्लाम के मुताबिक सभी स्वस्थ और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों से उम्मीद की जाती है कि वो जीवन में एक बार हज यात्रा पर जरूर जाएं। इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि हज यात्रा करने वालों के पिछले सभी गुनाह माफ हो जाते हैं।

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मैदान में खड़े होकर मांगी जाती हैं माफी?

आधिकारिक तौर पर हज की शुरुआत इस्लामिक महीने ज़िल-हिज की आठ तारीख से होती है। इस दौरान हज यात्रा पर जाने वाले जायरीन आठ तारीख़ को हाजी मक्का से क़रीब 12 किलोमीटर दूर मीना शहर जाते हैं। जानकारी के मुताबिक मीना शहर पहुंचने के बाद वहां पर आठ की रात हाजी मीना में गुज़ारते हैं। फिर अगली सुबह यानी नौ तारीख़ को अराफ़ात के मैदान पहुंचते हैं। इस दौरान जायरीन यानी हज यात्री अराफ़ात के मैदान में खड़े होकर अल्लाह को याद करते हैं। इसी मैदान में खड़े होकर वो अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं।

इस्लाम के पांच स्तंभ

पहला तौहीद- इसमें कहा जाता है कि एक अल्लाह और मोहम्मद उनके भेजे हुए दूत हैं, इसमें हर मुसलमान का विश्वास होना चाहिए।
नमाज़ – हर मुसलमान को दिन में पाँच बार नियम से नमाज़ अदा करना चाहिए।
रोज़ा – इसके अलावा हर इस्लाम मानने वाले को रमज़ान के दौरान रोजा यानी उपवास रखना होता है।
ज़कात- इस्लाम में कहा जाता है कि ग़रीबों और ज़रूरतमंद लोगों को दान करने से अल्लाह खुश होते हैं।
हज – पांच स्तंभ में हज यात्रा अहम है, हर मुसलमान को अगर मुमकिन है तो साल में एक बार मक्का जरूर जाना चाहिए।

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