India News (इंडिया न्यूज),P-8i: भारतीय समुद्री क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों की आवाजाही 2008 से बढ़ गई है। कभी सर्वे के नाम पर तो कभी एंटी पाइरेसी ऑपरेशन के नाम पर। भारतीय नौसेना चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की हर हरकत पर नजर रख रही है। अब यह नजर और तेज होगी। भारतीय नौसेना को लंबी दूरी की निगरानी के लिए 6 P8i विमान मिलने का रास्ता साफ हो गया है। भारत और अमेरिका के संयुक्त बयान में इस समझौते पर बड़ा अपडेट दिया गया है। बयान में कहा गया है कि ‘भारत की समुद्री निगरानी क्षमता को बढ़ाने के लिए 6 अतिरिक्त P-8i लॉन्ग रेंज मैरीटाइम टोही विमान खरीदने का काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। जिसके लिए बिक्री की शर्तों पर सहमति बन गई है। इस फैसले से समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ेगी।

P-8i

भारत सरकार ने अब तक अमेरिका से कुल 12 P-8i विमान खरीदे हैं। पहले चरण में वर्ष 2009 में 8 और दूसरे चरण में वर्ष 2016 में 4 पी-8आई विमान खरीदे गए थे। हालांकि नौसेना ने 10 अतिरिक्त पी8आई विमानों की जरूरत जताई थी। 10 नहीं तो 6 को मंजूरी मिली। नवंबर 2019 में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 6 अतिरिक्त विमान खरीदने को मंजूरी दी थी। अमेरिका से हर खरीद को विदेश विभाग की मंजूरी लेनी होती है। मई 2021 में 6 पी-8आई विमान और संबंधित उपकरणों की संभावित बिक्री को मंजूरी मिली थी। पी-8आई विमान की खासियत यह है कि यह 41000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। यह समुद्र की गहराई में छिपी पनडुब्बियों को ढूंढ सकता है और उनका शिकार भी कर सकता है। भारतीय नौसेना के लिए लंबी दूरी की निगरानी के लिए इससे बेहतर फिलहाल कुछ नहीं है। यह एक बार में 8300 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। इसमें 11 हार्ड प्वाइंट हैं, 5 आंतरिक और 6 बाहरी विंग पर। यह एंटी-शिप मिसाइल हार्पून, क्रूज मिसाइल, हल्के वजन वाले टारपीडो, एंटी-सबमरीन वारफेयर चार्ज और माइन लॉन्च कर सकता है। यह विमान शक्तिशाली मल्टी-मिशन सरफेस सर्च रडार से लैस है।

भारत और अमेरिका के बीच डील साइन

भारत और अमेरिका ने 31 MQ9B के लिए डील साइन की है। सूत्रों की मानें तो पहला ड्रोन 2029 तक डिलीवर किया जा सकता है। भारतीय नौसेना फिलहाल अमेरिका से लीज पर 2 MQ-9B का इस्तेमाल कर रही है। भारत अमेरिका से MQ-9 ड्रोन का एडवांस वर्जन खरीद रहा है। 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से 31 MQ-9 रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPA) और संबंधित उपकरण खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। भारतीय नौसेना को 15 ड्रोन, सेना को 8 और वायुसेना को 8 ड्रोन दिए जाएंगे। नौसेना को सबसे ज्यादा मिलेंगे क्योंकि तीनों सेनाओं में उनका निगरानी क्षेत्र सबसे बड़ा है।

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