इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सिंधु जल आयोग के तहत भारत और पाकिस्तान में एक बार फिर से वार्ता होगी। हफ्ते के आखिर में पाकिस्तान का 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भारत आएगा। यह वार्ता सिंधु जल संधि के तहत जल बंटवारे के लिए होगी। पिछले कुछ दिनों में भारत का दौरा करने वाला यह दूसरा पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल है। दरअसल, इस महीने की शुरूआत में भी पाकिस्तान की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) की बैठक के लिए दिल्ली आया था।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी गया था पाकिस्तान

इससे पहले भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की वार्षिक मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद गया था। इसका नेतृत्व सिंधु जल के भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना ने किया था। स्थायी आयोग की यह मीटिंग 1 से 3 मार्च तक हुई थी।

इस मीटिंग में भारतीय पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि इसकी सभी परियोजनाएं सिंधु जल संधि के प्रावधानों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही हैं। इस दौरान फाजिल्का नाले का मुद्दा भी उठा था। तब पाकिस्तान ने कहा था कि सतलुज नदी में फाजिल्का नाले के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई जारी रहेगी।

क्या है सिंधु जल संधि

1960 की सिंधु जल संधि के तहत 3 पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया है। वहीं 3 पूर्वी नदियों – सतलुज, ब्यास और रावी का पानी अप्रतिबंधित उपयोग के लिए भारत को आवंटित है। इस संधित के तहत भारत को 3 पश्चिमी नदियों पर नदी परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न करने का अधिकार है। संधि के तहत पाकिस्तान पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर आपत्ति उठा सकता है।

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