India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Army: पाकिस्तान की आर्थिक हालत कितनी ख़राब है। ये हम सब जानते हैं। पड़ोसी मुल्क कभी गरीबी तो कभी आतंकवाद की वजह से परेशान है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी सेना का आतंकवाद विरोधी अभियान आजम-ए-इस्तहकम अब उसके लिए बोझ बन गया है। दरअसल, हालात इतने अधिक खराब हो गए हैं कि पाकिस्तानी सेना अब अपनी ही जमीन पर नहीं जा सकती। बता दें कि, वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के लिए नो एंट्री है। टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालिबान ने वजीरिस्तान की सड़कों पर चेक पोस्ट बना दिए हैं और सेना के वाहनों के लिए सड़कें पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक ‘आजम-ए-इस्तहकम’ अभियान शुरू होने के बाद से बलूच लिबरेशन आर्मी, बलूच लिबरेशन फ्रंट और तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं।

क्यों हो रहा पाकिस्तान को दर्द?

बता दें कि, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की हालत खराब हो गई है। टीटीपी ने वजीरिस्तान और उसके आसपास के इलाकों में सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, अकेले वजीरिस्तान में ही पाकिस्तानी सेना पर करीब एक दर्जन घात लगाकर या आईईडी हमले किए जा चुके हैं। इन हमलों में सेना के 22 जवान मारे गए हैं। इनमें एक शीर्ष पाकिस्तानी सेना अधिकारी भी शामिल है। इसके अलावा 9 जुलाई को टैंक जिलों से 3 पाकिस्तानी सेना के जवानों को अगवा किया गया था। जिनके शव 11 जुलाई को बरामद किए गए। वजीरिस्तान में सेना के वाहनों के लिए रास्ते पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं और जगह-जगह चेक पोस्ट बना दिए गए हैं। यह सब टीडीपी का काम है।

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क्या है पाकिस्तान का आजम-ए-इस्तेहकाम?

गौरतलब है कि, पाकिस्तानी सेना ने 23 जून 2024 को आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया था। इसे आजम-ए-इस्तेहकाम नाम दिया गया था। इस अभियान के अलग-अलग पहलू हैं। पहला है आतंकियों और उनके नेटवर्क को खत्म करना और दूसरा है अफगानिस्तान से तहरीक-ए-तालिबान को मिल रही मदद को रोकने के लिए दबाव बनाना। हालांकि, अभी तक पाकिस्तान अपने दोनों ही मकसद में कामयाब नहीं हो पाया है। यह शाहबाज सरकार के लिए बड़ी टेंशन की बात है।

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