India News (इंडिया न्यूज), Pakistan drought:एक ओर राजनीतिक अस्थिरता, दूसरी और गहराता आर्थिक संकट और तीसरे ओर जमीन का सूखता पानी। ये सारी विपदाएं कोई एक देश झेल रहा है तो वो है भारत का एकमात्र पड़ोसी मुल्क पाक्सितान। जो भारत से कश्मीर छीनने की तमन्ना रखता है। लेकिन अब पाकिस्तान के ऐतिहासिक किले से 12 किलोमीटर दूर कोटने गांव में मची तबाही का मंजर पसरा हुआ है। कभी-कभी बच्चों और लोगों की हलचल-पहल से भरा यह गांव अब वीरान हो चुका। एक महीने पहले तक यहां करीब 100 परिवार रहते थे और मिट्टी की झोपड़ियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि यह एक पुराना और सादा गांव है। लेकिन आज यहां जीवन का एक मात्र संकेत कूड़े में छिपे अवशेषों के निशान हैं।

इस गांव में पानी की एक बूंद भी नहीं मिलती, क्योंकि इस गांव में पानी की एक बूंद भी नहीं मिलती। पिछले कई वर्षों में सबसे खराब जल संकट ने रेगिस्तानों से बड़े पैमाने पर पलायन को मजबूर कर दिया है। दक्षिण पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान के 26 हजार वर्ग मीटर में जनसमुदाय का औसत से कम बारिश के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं।

सूख रहे पोखरा और तालाब

भूजल से, टोबा, तालाब और पोखरा समेत करीब 1900 प्राकृतिक वर्षा आधारों की सूची बनी हुई है। ये खानाबदोश परिवार और उनके परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा के रूप में काम करते थे। प्रत्येक टोबा ऐतिहासिक रूप से 80 से 100 परिवारों का भरण-पोषण करता था, लेकिन इस वर्ष अधिकांश टोबा सामान्य से एक या दो महीने पहले ही स्थापित हो गए हैं। जिस कारण यहां समुदाय का जीवित रहना कठिन हो गया है।

ईसा मसीह के सूली चढ़ते ही काला पड़ गया था सूरज, खूनी रंग में बदल गया था चांद! सालों बाद NASA ने बताया सच

पाकिस्तान सरकार ने बंद कर लीं आंखें

वर्षा की कमी और सरकारी जलापूर्ति फर्म की कमी के कारण, परिवार ने शहरी उद्यम किए लेकिन देर से किले की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है, जहां सीमित सरकारी जलापूर्ति फर्म अभी भी चल रही है, उसकी कोई भी संस्था नहीं है। इन छोटे-छोटे मोनाल और लामालैण्ड पर सरकार की अत्यावश्यक कार्रवाई करने में असमर्थता कई सवाल कर रही है।

अवध धाम हनुमंत जन्मोत्सव समिति ने मेहंदीपुर बालाजी दरबार में चढ़ाया 51 फीट का ध्वज, जिस पर हजारों श्रद्धालुओं ने बांधे थे ‘मन्नत के धागे’