India News (इंडिया न्यूज),Pakistan:पाकिस्तान को भीख मांगने की पुरानी आदत है। पूरी दुनिया समय-समय पर देखती रहती है कि कैसे वह हाथ में भीख का कटोरा लेकर भीख मांगता नजर आता है। कभी मदद मिल जाती है तो कभी इस भीख में काफी समय लग जाता है। पाकिस्तान ने अब दुनिया भर से मिल रही इस मदद को भीख के तौर पर स्वीकार कर लिया है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा कि अब हमारे दोस्त भी भीख का कटोरा लेकर पाकिस्तान नहीं आना चाहते।
बलूचिस्तान के क्वेटा में कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में सेना के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश अब यह उम्मीद नहीं करता कि इस्लामाबाद उनके सामने ‘भीख का कटोरा’ लेकर आएगा उन्होंने कहा कि चीन, सऊदी अरब, तुर्की, कतर, यूएई सभी पाकिस्तान के भरोसेमंद दोस्त हैं। वे भी हमसे व्यापार, वाणिज्य, नवाचार, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और निवेश में शामिल होने की उम्मीद करते हैं। वे अब नहीं चाहते कि हम उनके पास भीख का कटोरा लेकर जाएं।
शाहबाज शरीफ ने कहा कि वह और फील्ड मार्शल असीम मुनीर अब अपने कंधों पर निर्भरता का बोझ नहीं उठाना चाहते। उन्होंने कहा कि मैं फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर के साथ आखिरी व्यक्ति हूं जो इस बोझ को अपने कंधों पर लेना चाहता हूं, क्योंकि आखिरकार बोझ इस देश के कंधों पर है। पाकिस्तान का विकास उसके संसाधनों के दोहन पर निर्भर करता है।
आतंकवाद को लेकर कही ये बात
आतंकवादियों को अपनी गोद में पालने वाले शाहबाज शरीफ अब इसका विरोध करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को एकजुट होकर आतंकवाद से लड़ना चाहिए और उन व्यवसायों का समर्थन करने के बजाय निर्यात बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जो पैसा नहीं कमा रहे हैं।
शाहबाज शरीफ ने कहा कि अगर हम आतंकवाद को हराने में सक्षम हैं, अगर हम देश को पहले से ज्यादा एकजुट करने में सक्षम हैं और अगर हम अपने विजन में पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि हमें निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देना है, तो हमें पाकिस्तान में उन निष्क्रिय इकाइयों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जो लाभ नहीं कमा रही हैं।
लाभकारी योजना में निवेश करना चाहिए- शरीफ
शाहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों का समाधान देश के प्राकृतिक और मानव संसाधनों का पूरी तरह से लाभदायक व्यवसाय के लिए उपयोग करने के अधिकार में निहित है। तो इसका जवाब क्या है? इसका उत्तर बहुत सरल और सीधा है कि अल्लाह ने हमें जो भी प्राकृतिक संसाधन, मानव संसाधन दिए हैं, हमें उनका पूरा उपयोग करना चाहिए और उन्हें इस अत्यंत लाभकारी योजना में निवेश करना चाहिए।
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