India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Protest Viral Video: भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अलग सिंधुदेश के निर्माण को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। लोग आपदा में अवसर तलाशने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा लग रहा है जैसे वे भारत के हमले का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे पाकिस्तान से अलग होकर प्रांत के लिए एक अलग देश बना सकें। सिंधुदेश की मांग का मतलब है सिंधियों के लिए एक अलग मातृभूमि का निर्माण, जहां लोगों के साथ कोई भेदभाव न हो और पाकिस्तानी सेना उन पर अत्याचार न करे। माना जाता है कि सिंधुदेश के निर्माण की मांग पाकिस्तानी सेना की दमनकारी नीतियों का नतीजा है, जिस पर पाकिस्तानी पंजाबियों का नियंत्रण है।
वीडियो हो रहा वायरल
भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान अपने ही घरों में घिरता हुआ नजर आ रहा है। बलूचिस्तान की मांग करते हुए बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) और बीएलए लगातार पाकिस्तानी सेनाओं पर हमले कर रही है। इस बीच सिंधु देश की भी मांग जोर पकड़ने लगी है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो है। जिसमें सिंधु देश की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी की जा रही है। इस विरोध प्रदर्शन में काफी बड़ी संख्या में लग दिख रहे हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पाकिस्तानी पंजाबियों ने देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले लोगों, जैसे बलूचिस्तान में बलूच, सिंध प्रांत में सिंधी और आदिवासी इलाकों के लोगों को सामाजिक और आर्थिक पैमाने पर हाशिए पर डाल दिया है।
कब हुई थी सिंधु देश आंदोलन की शुरुआत?
सरकारी राजस्व का सबसे बड़ा हिस्सा पंजाब पर खर्च होता है, जबकि राजस्व देश के बाकी हिस्सों से वसूला जाता है। आपको बता दें कि सिंधुदेश आंदोलन की शुरुआत 1950 के दशक में विवादित ‘वन यूनिट प्लान’ के तहत पाकिस्तान की राजनीति के केंद्रीकरण के साथ हुई थी, जिसमें सिंध, बलूचिस्तान, पाकिस्तान पंजाब और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (NWFP) को 1955 में पश्चिमी पाकिस्तान की ‘एकल इकाई’ घोषित किया गया और पूर्वी पाकिस्तान (पूर्वी बंगाल) को एक अलग एकल इकाई बनाया गया।
इस वजह से अलग देश की मांग कर रहे लोग
जब पाकिस्तानी सेना पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश में अत्याचार कर रही थी, तब पाकिस्तानी सेना सिंध में भी आक्रामक अभियान चला रही थी। इसी दौरान सिंध में एक अलग देश बनाने की मांग शुरू हुई। सिंधी राष्ट्रवादी इस दौर को अपने इतिहास का ‘सबसे काला दौर’ मानते हैं, क्योंकि इस दौरान पंजाबी मुसलमानों ने सिंध प्रांत पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान के गठन के साथ ही सिंध देश बनाने की मांग शुरू हो गई। इस दौरान पंजाबी मुसलमानों ने सिंध के लोगों पर उर्दू थोपी, उर्दू में शिक्षा अनिवार्य कर दी, जिससे सिंध के लोगों में काफी गुस्सा था।
लोगों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना उनकी संस्कृति, उनकी पहचान और उनकी भाषा को छीन रही है। वन-यूनिट योजना ने सिंध के लोगों की पहचान को काफी हद तक नष्ट कर दिया तथा उर्दू को अनिवार्य बनाये जाने के बाद स्थिति और खराब हो गयी।