इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पाकिस्तान अभी भी FTAF की ग्रे लिस्ट में रहेगा। 3 साल से पाकिस्तान आर्थिक मदद हासिल करने के लिए छटपटा रहा है। लेकिन खुद की नीतियों के चलते वह इसे लेने में नाकामायाब साबित हो रहा है। क्योंकि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो विदेशों व अन्य वैश्विक संगठनों से मिली हुई मदद को देश के नागरिकों पर खर्च न करके आतंकी सपौलों को पालने में लगाता है। वहीं इसी पैसे से यहां के हुक्मरान ऐशो आराम भरी जिंदगी जी रहे हैं। पाकिस्तान में काले धन की कमाई भी अपार है, जिस कारण अंतर्राष्टÑीय वित्तिय कार्यवाई कार्य बल यानि (FTAF) ने 2018 में आतंकप्रस्त पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।
अब हाल ही 19 से 21 अक्टूबर तक संस्था की बैठक चली जिसमें फैसला लिया गया कि अभी इमरान खान के पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर नहीं किया जा सकता। ऐसे में अब पाक को लिस्ट से निकलने के लिए अप्रैल 2022 में आयोजित होने वाली एफएटीएफ की बैठक का इंतजार करना होगा।
क्या करती है FTAF
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स वह संस्था है जो जरूरतमंद उन देशों को आर्थिक मदद पहुंचाने की सिफारिश करती है जो कि मानवता व देश के नागरिकों के उत्थान के लिए काम करते हों। जिसका पाकिस्तान नाजायज फायदा उठाता रहा है। संदिग्ध देशों को संस्था दिए गए पॉइंट्स पर काम करने को कहती है। अगर कोई देश उन बिंदुओं पर काम नहीं करता तो उसे ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है। सूची में नाम आने के बाद विश्व बैंक से लेकर अन्य संगठन आर्थिक मदद बंद कर देते हैं।
ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान क्यों
आतंकियों को वित्तपोषण की निगरानी करने वाले निकाय वित्तीय कार्रवाई कार्यदल के प्रमुख मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान में अभी भी 12 प्रतिबंधित टेरर समूह चल रहे हैं। इनमें से 5 भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकियों जैसे हाफिज सईद और मसूदद अजहर और उनके नेतृत्व वाले समूहों के खिलाफ कार्रवाई की जानी है। जो कि वह नहीं कर रहा है।
ऐसे में आने वाले दिनों में पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं। क्योंकि मंहगाई पाकिस्तान में नित नए रिकार्ड बना रही है वहीं काला बाजारी और काले धन की कमाई शैतान की आंत की तरह बढ़ती ही जा रही है जिस पर रोक लगाने में पाकिस्तानी सरकार नाकाम साबित हो रही है।