India News (इंडिया न्यूज), PM Modi at G20 Summit: रियो डी जेनेरियो में आयोजित G-20 समिट के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक समावेशन और भूख व गरीबी के खिलाफ लड़ाई पर अपने विचार व्यक्त किए। पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला को उनके सफल जी-20 अध्यक्षत्व के लिए बधाई दी और शिखर सम्मेलन के लिए की गई व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा लिए गए जन-केंद्रित निर्णयों को ब्राजील के नेतृत्व में आगे बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री ने सतत विकास लक्ष्यों को दी गई प्राथमिकता पर भी संतोष व्यक्त किया और इसे एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के सिद्धांत के तहत आवश्यक बताया।
250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने पिछले दशक में गरीबी उन्मूलन में भारत द्वारा की गई प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और 800 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न दिया जा रहा है। साथ ही प्रधानमंत्री ने बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना से 550 मिलियन लोगों को लाभ मिला है। जिसमें 60 मिलियन वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य बीमा भी शामिल है। उन्होंने आगे बताया कि हाल ही में भारत ने मलावी, जाम्बिया और जिम्बाब्वे को मानवीय सहायता प्रदान की है, ताकि वहां खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इसके अलावा उन्होंने ब्राजील द्वारा शुरू किए गए भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के प्रति भारत का समर्थन जताते हुए कहा कि यह गठबंधन नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अपनाए गए डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांतों को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने पर दिया जोर
बता दें कि, G-20 देशों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक संघर्षों के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से ग्लोबल साउथ के देश सबसे अधिक प्रभावित हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर इन चर्चाओं का उद्देश्य वास्तव में सफल होना है, तो ग्लोबल साउथ की चुनौतियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना होगा। दरअसल, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को जी-20 की स्थायी सदस्यता देने के फैसले को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में भारत वैश्विक शासन की संस्थाओं में सुधार का भी प्रयास करेगा, ताकि विकासशील देशों की आवाज को और अधिक बल मिले।