India News (इंडिया न्यूज), Qatar royal family diamond: कतर के शाही परिवार की दो शाखाओं के बीच 17वीं सदी के हीरे को लेकर चल रहा अदालती विवाद खत्म हो गया है। 70 कैरेट के मुगलकालीन इस हीरे पर कतर के शाही परिवार के लोग अपना-अपना दावा कर रहे थे। आइए जानें कि यह हीरा कितना कीमती है और उन्हें यह कैसे मिला?
आइडल्स आई नाम के इस बेशकीमती हीरे को लेकर कला संग्रहकर्ता और कतर के शासक शेख तामिन बिन हमद अल थानी के चचेरे भाई शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी और पूर्व मंत्री शेख सऊद बिन मोहम्मद अल थानी के परिवार के बीच विवाद हुआ था।
कहा जाता है कि यह हीरा 1600 के आसपास दक्षिण भारत में गोलकुंडा की खदान में मिला था। ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि शुरू में यह हीरा फारस (ईरान) के राजकुमार राहाब के कब्जे में था। हालांकि, ईस्ट इंडिया कंपनी का कर्ज चुकाने के लिए यह हीरा उनके हाथ से निकल गया था।
कतर के संस्कृति मंत्री के पास मिला हीरा
हाल के वर्षों में यह नीला हीरा शेख सऊद के लंदन स्थित घर में मिला था, जो 1997 से 2005 तक कतर के संस्कृति मंत्री थे। उनके पास आने से पहले यह मशहूर जौहरी हैरी विंस्टन के पास था। 2004 में शेख सऊद बिन मोहम्मद अली अल थानी ने इसे सात मिलियन पाउंड में खरीदा था। शेख सऊद को दुनिया के सबसे बड़े कला संग्रहकर्ताओं में से एक माना जाता है।
2004 की शुरुआत में उन्होंने इस हीरे को खरीदा और इसे अपनी विधवा और बच्चों के लिए बनाई गई संस्था एलेनस होल्डिंग्स के तहत पंजीकृत कराया। इसके साथ ही उन्होंने होप, टेलर-बर्टन और अफ्रीका के ग्रेट स्टार हीरे भी पंजीकृत कराए।
इतनी है हीरे की कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हीरा विशेषज्ञों ने इस हीरे की कीमत करीब 27 मिलियन डॉलर आंकी है। ऐसा कहा जाता है कि 2014 में अपनी मौत से कुछ समय पहले शेख सऊद ने शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी की अध्यक्षता वाली एक निजी निवेश फर्म क्यूपको को आइडल आई उधार दी थी। उस समय हुए समझौते के अनुसार, क्यूपको ने इस हीरे को खरीदने का विकल्प दिया, क्योंकि उसने शेख सऊद के रिश्तेदार एलानस होल्डिंग्स से इसके लिए सहमति प्राप्त की थी। एलानस होल्डिंग्स का नियंत्रण अल थानी फाउंडेशन के पास है, जिसके लाभार्थियों में शेख सऊद की विधवा और तीन बच्चे शामिल हैं।
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वर्ष 2023 में हीरा खरीदने का दावा
यह वर्ष 2023 है। शाही परिवार के चचेरे भाई और कला संग्रहकर्ता शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी ने इस हीरे के स्वामित्व को लेकर उच्च न्यायालय में कानूनी कार्यवाही शुरू की। उन्होंने न्यायालय में दावा किया कि वह अपनी फर्म क्यूपको के माध्यम से इस हीरे को 7.8 मिलियन पाउंड में खरीदने के हकदार हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कथित तौर पर वर्ष 2020 में इसकी बिक्री के लिए एक प्रस्ताव दिया गया था।
हालांकि, एलानस होल्डिंग्स के कानूनी प्रतिनिधियों ने तर्क दिया कि यह प्रस्ताव गलती से दिया गया था और इसमें परिवार का कोई सदस्य शामिल था। न्यायालय को बताया गया कि दिवंगत शेख सऊद के बेटे शेख हमद बिन सऊद अल थानी इसे बेचने के इच्छुक थे। इसके लिए उन्होंने अपनी मां और भाइयों से कोई राय नहीं ली।
दिवंगत शेख सऊद के परिवार का स्वामित्व
दोनों पक्षों की दलीलें और तर्क सुनने के बाद जज साइमन बर्ट ने किप्को के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसे हीरा खरीदने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि शेख हमद बिन सऊद अल थानी की दिलचस्पी केवल इस हीरे की बिक्री योग्यता को परखने में थी और उन्होंने इसे बेचने के बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया था।
जज ने कहा कि यह स्पष्ट है कि परिवार के अन्य सदस्य हीरे को बेचने के खिलाफ थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर परिवार का कोई सदस्य हीरा बेचना भी चाहता है तो इसे एलानस होल्डिंग्स की राय नहीं माना जा सकता, जो वास्तव में इसका कानूनी मालिक है। ऐसी स्थिति में हीरे का स्वामित्व एलानस होल्डिंग्स के पास ही रहता है, जिस पर दिवंगत शेख सऊद का नियंत्रण है।