India News (इंडिया न्यूज), Indians in Kuwait: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल अहमद अल जाबेर अल सबाह के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा पर गए हुए  हैं। 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली कुवैत यात्रा है। यहाँ प्रधानमंत्री भारतीय समुदाय से भी बातचीत करेंगे, जिसका कुवैत की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है। आइए जानते हैं कुवैत की तरक्की में भारतीयों की क्या भूमिका है। वहां कितने भारतीय हैं और वे क्या करते हैं? वे भारत को कितना पैसा भेजते हैं?

कुवैत की आबादी में 21 प्रतिशत भारतीय

कुवैत की अर्थव्यवस्था और तरक्की में भारतीयों का बहुत बड़ा योगदान है। हर साल बड़ी संख्या में भारतीय कुवैत जाते हैं। यहां के अस्पतालों, तेल के कुओं और कारखानों में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं। बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी भारतीयों की संख्या कम नहीं है। अगर कुवैत में कुल कार्यबल पर नजर डालें तो भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा होगी। मीडिया रिपोर्ट्स और कुवैत स्थित भारतीय दूतावास की मानें तो कुवैत में करीब 10 लाख भारतीय रहते हैं। यह आंकड़ा कुवैत की कुल आबादी का 21 फीसदी है। वहां कुल कामगारों में 30 फीसदी भारतीय हैं।

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भारतीय डॉक्टर और नर्स चले गए तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाएंगी

हालांकि कुवैत के तेल कुओं में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं। वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग में भी भारतीयों की अच्छी खासी संख्या है, लेकिन कुवैत में जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा भारतीय कामगार हैं, वह है चिकित्सा क्षेत्र। इस अरब देश में भारतीय दूतावास के मुताबिक कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीय डॉक्टर और नर्स काम करते हैं। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि अगर भारतीय डॉक्टर और नर्स कुवैत छोड़कर चले गए तो वहां की पूरी स्वास्थ्य सेवा चरमरा सकती है।

इन राज्यों से आते हैं सबसे ज्यादा लोग

भारत और कुवैत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए 2012 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया था। इसकी अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं। कुवैत स्थित भारतीय दूतावास का मानना ​​है कि वहां रहने वाले भारतीयों में सबसे ज्यादा कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के लोग हैं। इनमें से ज्यादातर लोग मेडिकल सेक्टर में डॉक्टर या नर्स के तौर पर काम कर रहे हैं।

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परिवहन के लिए विशेष इंतजाम

कुवैत में भारतीयों की मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत और कुवैत दोनों ने परिवहन को सुचारू रखने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। दोनों देशों के बीच उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स में 12 हजार से ज्यादा सीटें प्राथमिकता के आधार पर भारतीयों के लिए बुक की जाती हैं। दो कुवैती एयरलाइंस, कुवैत एयरलाइंस और जजीरा की फ्लाइट सेवाएं भारत के कम से कम नौ शहरों से उपलब्ध हैं। वहीं, भारतीय एयरलाइंस एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस और इंडिगो भी कुवैत सिटी के लिए सीधी उड़ान सेवाएं देती हैं। भारत की राजधानी दिल्ली, आर्थिक राजधानी मुंबई के अलावा चेन्नई, अहमदाबाद, गोवा, कोच्चि, हैदराबाद, लखनऊ और बेंगलुरु जैसे शहरों से कुवैत के लिए सीधी फ्लाइट उपलब्ध हैं। लाल

भारतीयों को इतनी सैलरी मिलती है

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत से आए अकुशल कामगारों को कुवैत में 100 कुवैती दीनार महीने का वेतन मिलता है। इन अकुशल कामगारों में मजदूर, हेल्पर और सफाईकर्मी आदि शामिल हैं। वहीं, डिलीवरी बॉय, नाई, सुरक्षा गार्ड आदि जैसे अर्ध-कुशल कामगारों को 100 से 170 दीनार महीने का वेतन मिलता है। कुशल कामगारों में तकनीकी और यांत्रिक क्षेत्र से जुड़े कामगार शामिल हैं, जिन्हें हर महीने 120 से 200 कुवैती दीनार वेतन मिलता है।

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भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं

कुवैत में काम कर रहे भारतीय न सिर्फ उस देश के विकास और अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं। कुवैत में काम कर रहे भारतीय कामगार वहां से अपने परिवार के लिए अच्छी खासी रकम भारत भेजते हैं। बताया जाता है कि कुवैत से भारत आने वाला कुल पैसा 2.1 बिलियन कुवैती दीनार यानी 6.3 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा के आंकड़े पर पहुंच गया है। वर्तमान में एक कुवैती दीनार की कीमत करीब 276 रुपये है।

इसके अलावा कुवैत भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। वर्ष 2023-24 में भारत ने कुवैत को 210.32 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। इसी अवधि में भारत ने कुवैत से 837.59 अरब डॉलर का सामान आयात किया। इसमें से भारत ने 620 अरब डॉलर का तेल और उससे जुड़े उत्पाद ही आयात किए।