India News (इंडिया न्यूज), Russia Bangladesh Relations: रूसी नौसेना के तीन युद्धपोत रविवार को बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचे। बांग्लादेशी सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमान ने हाल ही में रूस का दौरा किया था। उनकी मॉस्को यात्रा के एक सप्ताह से भी कम समय में रूसी नौसेना के युद्धपोत चटगांव पहुंचे हैं। यह इसलिए खास है क्योंकि अब तक बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का झुकाव पूरी तरह से चीन की तरफ था। रूसी नौसेना के जहाजों का चटगांव पहुंचना दर्शाता है कि बांग्लादेशी सेना चीन से आगे बढ़कर बड़ी शक्तियों के साथ संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।
चटगांव बंदरगाह पर पहुंचे रूस के 3 युद्धपोत
चटगांव बंदरगाह पर पहुंचे रूसी जहाजों में रेज्की, हीरो ऑफ द रशियन फेडरेशन अल्दार त्सिडेंझापोव और पेचेंगा शामिल हैं। ये जहाज चार दिनों के लिए बांग्लादेश की समुद्री सीमा में दाखिल हुए हैं। चटगांव पहुंचने पर बांग्लादेशी नौसेना के जहाज बीएनएस खालिद बिन वालिद ने रूसी युद्धपोतों का स्वागत किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बांग्लादेश की चीन पर निर्भरता कम करने के लिए सैन्य साझेदारी में विविधता लाने की कोशिश है। दूसरी ओर, रूसी सेना की म्यांमार में पहले से ही मौजूदगी है। अब वह बांग्लादेश में व्यापक मौजूदगी की तलाश में है। इससे पूरे क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़ेगा।
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रूस की 4 दिवसीय यात्रा पर थे बांग्लादेश के सेना प्रमुख
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमान पिछले सप्ताह रूस की चार दिवसीय यात्रा पर गए थे। उनकी यह यात्रा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा के तुरंत बाद हुई थी। उन्होंने मॉस्को में दोनों सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ सैन्य नेतृत्व के साथ बैठकें कीं। इस दौरान जमान ने मॉस्को और रूस के अन्य शहरों में हथियार निर्माण कारखानों का भी दौरा किया। बांग्लादेश की सेना इस समय चीनी रक्षा उपकरणों पर काफी हद तक निर्भर है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का कहना है कि, बांग्लादेश अपनी सैन्य साझेदारी बढ़ाना चाहता है क्योंकि वह पूरी तरह से चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता। हालांकि म्यांमार के बाद बांग्लादेश में रूस की मौजूदगी बढ़ने से चीन को परेशानी हो सकती है। ऐसे में आने वाले समय में यह देखना होगा कि इन देशों के बीच संबंध किस दिशा में जाते हैं।