India News (इंडिया न्यूज),Russia facing a shocking potato shortage:रूस पर यूक्रेन के ड्रोन हमले पहले से ही पुतिन को बेचैन कर रहे थे। हमले ऐसे थे कि रूस के अंदर तक पहुंच गए, जहां रूस ने सोचा भी नहीं था। लेकिन इस बीच रूस की थाली से उसकी सबसे भरोसेमंद चीज आलू भी गायब होने लगा है। दुनिया में सबसे ज्यादा आलू खाने वाले देश माने जाने वाले रूस में यह सब्जी अब लग्जरी बन गई है। और यह संकट इतना गंभीर है कि खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस पर चिंता जतानी पड़ी।
कीमतों में 2.8 गुना बढ़ोतरी
रूस में आलू की कीमतों में पिछले एक साल में करीब 2.8 गुना बढ़ोतरी हुई है। मई 2025 की शुरुआत में एक किलो आलू की औसत कीमत 85 रूबल (करीब ₹89) तक पहुंच गई, जबकि पिछले साल यह कीमत करीब 30 रूबल (₹32) थी। कुछ इलाकों में तो कीमतें 200 रूबल प्रति किलो तक पहुंच गई हैं।इस संकट ने सरकार को हिलाकर रख दिया है।
सरकार ने जरूरी कदम उठाने में देरी की-दिमित्री पेत्रुशेव
उप प्रधानमंत्री दिमित्री पेत्रुशेव ने माना है कि सरकार ने जरूरी कदम उठाने में देरी की। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, जिन्हें मजाक में पोटैटो-फ्यूहरर कहा जाता है, ने भी इस संकट पर चिंता जताई है। आलू क्यों महंगा हुआ? इस संकट के पीछे एक नहीं, बल्कि कई कारण एक साथ जुड़े हुए हैं। सबसे बड़ा कारण है साल 2024 की खराब फसल। पिछले साल के मुकाबले आलू का उत्पादन करीब 12 फीसदी कम हुआ। कुल उत्पादन सिर्फ 17.8 मिलियन टन रहा। इसकी बड़ी वजह खराब मौसम, बीज आलू की कमी और खेती के रकबे में कमी रही। दरअसल, 2023 में रूस में आलू का इतना उत्पादन हुआ कि कीमतें बहुत कम हो गईं।इससे किसानों को नुकसान हुआ और उन्होंने 2024 में आलू की जगह तिलहन, चुकंदर जैसी फसलें उगाना शुरू कर दिया।
शुरुआत में इसे जहर मानते थे लोग
आलू सिर्फ सब्जी नहीं, रूसी संस्कृति का हिस्सा है रूस में आलू कोई आम सब्जी नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा है। इसे पीटर द ग्रेट के दौर में पश्चिम से लाया गया था। शुरुआत में लोग इसे जहर मानते थे, लेकिन धीरे-धीरे इसने आम लोगों की थाली में जगह बना ली। 1980 के दशक में जब मैकडॉनल्ड्स रूस में आया, तब भी उसे इंसानों के खाने लायक आलू तक नहीं मिल पाए थे। शुरुआत में आलू पोलैंड से आयात किए जाते थे, बाद में इंसानों के खाने लायक आलू रूस में उगाए जाने लगे।
आलू के बिना थाली में सिर्फ पास्ता
जब खाने की चीजें महंगी हो जाती हैं, तो लोग कम नहीं खाते, बल्कि वैरायटी छोड़ देते हैं। वे सब्जी और मछली की जगह सस्ते आलू या पास्ता ही खाते हैं। इससे पोषण की कमी होती है। 90 के दशक में रूसी अनाथालयों में स्पाइना बिफिडा नामक गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चे सामने आए। इसका कारण यह था कि माताओं को उचित भोजन नहीं मिल रहा था। जब माताओं ने उचित भोजन करना शुरू किया, तो बीमारी कम हो गई। जब आम सब्जी भी आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती है, तो संकट सिर्फ थाली को प्रभावित नहीं करता, बल्कि पूरी पीढ़ी के स्वास्थ्य, संस्कृति और सोच को प्रभावित करता है। और यही आलू संकट आज रूस में कर रहा है।