India News (इंडिया न्यूज), Russia: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 2 साल से चल रहे युद्ध के खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। एक तरफ जहां रूस और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन झुकने को तैयार नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन नाटो देशों या फिर अमेरिका समर्थित देशों से हथियार लेकर युद्ध में डटा हुआ है। इस बीच क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शनिवार को प्रकाशित एक वीडियो में कहा कि अगर यूरोपीय देश लंबी दूरी की अमेरिकी मिसाइलों की तैनाती स्वीकार करते हैं तो वे खुद को जोखिम में डाल रहे होंगे।
रूस हर खतरा से लड़ने को तैयार
बता दें कि रूसी स्टेट टीवी रिपोर्टर पावेल ज़ारुबिन द्वारा अमेरिका द्वारा यूरोप में हाइपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, पेसकोव ने कहा कि हमारे पास इन मिसाइलों को रोकने की पर्याप्त क्षमता है। लेकिन इन (यूरोपीय) राज्यों की राजधानियाँ संभावित शिकार हैं। पेसकोव ने कहा कि शीत युद्ध के दौरान, यूरोप में स्थित अमेरिकी मिसाइलों का लक्ष्य रूस था। इस बदले में रूसी मिसाइलों का लक्ष्य यूरोप था, जिससे महाद्वीप के देश किसी भी संभावित संघर्ष का मुख्य शिकार बन गए। उन्होंने आगे कहा कि यूरोप अब टूट रहा है। यह यूरोप के लिए सबसे अच्छा समय नहीं है। इसलिए, किसी न किसी तरह, इतिहास खुद को दोहराएगा।
अमीरों पर लगेगा अधिक कर
नई कर दरों के लागू होने से रूसी सरकार को वर्ष 2025 में 2.6 ट्रिलियन रूबल (29 अरब डॉलर) का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है। हालांकि, पुतिन पहले कह चुके हैं कि आयकर दर में वृद्धि से रूस के केवल 3.2 प्रतिशत करदाता प्रभावित होंगे। कंसल्टेंसी फर्म मैक्रो-एडवाइजरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस वीफर ने करों में वृद्धि को तेल राजस्व पर रूस की निर्भरता को कम करने के प्रयासों का हिस्सा बताया। यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद पश्चिमी देश रूसी तेल निर्यात के खिलाफ प्रतिबंधों को कड़ा कर रहे हैं।
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