India News (इंडिया न्यूज), Russia’s Su-57 Fighter Jet In Iran : बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया 2025 में रूस की 5वीं पीढ़ी के Su-57 लड़ाकू विमान ने भी हिस्सा लिया था और आसमान में अपने शानदार करतब से वहं पर मौजूद सभी का दिल जीता लिया। रूसी Su-57 भारत में चर्चा का विषय इ लिए और बना हुआ है क्योंकि रूस अपना ये 5वीं पीढ़ी की फाइटर जेट किसी भी हाल में भारत को बेचना चाह रहा है। इसके लिए रूसी कंपनियों ने भारत सरकार के सामने कई फायदेमंद डील्स भी रखी हैं।

लेकिन रूस के Su-57 लिए यहां पर अमेरिका ने अपना F35 उतार दिया है। दोनों देशों के बीच इस वक्त ये रेस लगी हुई है कि भारत किसका लड़ाकू विमान खरीदेगा। इन सबसे हटके रूस के Su-57 को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। एयरो इंडिया में भाग लेने के बाद, रूस वापस जाते वक्त Su-57 ने ईरान के एक एयर फोर्स बेस पर लैंडिंग करके अमेरिका और इसके सहयोगी देशों के होश उड़ा दिए हैं।

ईरान पहुंचा रूसी फाइटर जेट

रिपोर्ट्स के मुताबिक Su-57 ने 9वें टैक्टिकल एयर फोर्स बेस पर लैंडिंग की. दावा किया गया कि फाइटर जेट यहां ईंधन भरने के रुका था। रूस से भारत के बीच की दूरी 4000 किलोमीटर से अधिक है और Su-57 की रेंज 3500 किलोमीटर है, इसलिए इस दूरी को तय करने के लिए एक स्टॉपओवर की जरूरत थी। फारस की खाड़ी के पास स्थित बंदर अब्बास को इस स्टॉप के लिए सही समझा गया है, क्योंकि यह रणनीतिक नजरिए से भी सही जगह है।

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ईरान की रूसी फाइटर में दिलचस्पी

जानकारों की मानें तो ये लैंडिंग केवल जरूरत को पूरा करने तक सीमित नहीं थी, बल्कि ईरान को 5वीं पीढ़ी के इस अत्याधुनिक लड़ाकू विमान को करीब से देखने का मौका भी मिला। माना जा रहा है कि ईरान हाल के समय में रूस के फाइटर जेट में इंटरेस्ट दिखा रहा है। हो सकता है कि ये लैंडिंग उसी से जुड़ी हो। हालांकि, इस लैंडिंग के संबंध में किसी भी तरह की आधिकारिक पुष्टि रूसी या ईरानी अधिकारियों की तरफ से नहीं की गई है। ईरान दुनिया भर में सैन्य शक्तियों में से एक ताकतवर देश है। मिडिल ईस्ट में अमेरिका और इजरायल के साथ उसकी टैंशन चरम पर है। इस वजह से शायद वो Su-57 में रूचि दिखा सकता है, जिससे रूस की तरफ से उठाया कदम काफी दिलचस्प माना जा रहा है।

वैसे तो जब कभी भी रूसी विमान लंबे रूट पर निकलते हैं तो वो सीरिया के हमीमिम बेस का इस्तेमाल करते थे, लेकिन वहां से दिसंबर 2024 में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद से वहां अब पहले जैसी स्थिती नहीं रह गई है। इसी वजह से रूस को अपने फाइटर जेट के लिए ईरान के तौर पर नया ठिकाना चुना पड़ा।

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