India News (इंडिया न्यूज),Saudi Arabia:दुनिया के सबसे रहस्यमयी और कठोर समाजों में से एक माने जाने वाले सऊदी अरब में महिलाओं की आजादी को लेकर दशकों से सवाल उठते रहे हैं। लेकिन हाल ही में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे इस बात की पुष्टि करते हैं कि वहां के तथाकथित ‘सुधार गृह’ वास्तव में ‘नर्क’ से कम नहीं हैं। जो लड़कियां अपने पिता, पति या भाई की बात नहीं मानती हैं या घर से भाग जाती हैं, उन्हें ‘दार अल-रिया’ नामक इन बंद सुधार केंद्रों में भेज दिया जाता है।

इन जेलनुमा सुधार गृहों में महिलाओं को न केवल कोड़े मारे जाते हैं, बल्कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से भी तोड़ा जाता है। इस रिपोर्ट में हम आपको उन दर्दनाक हकीकतों से रूबरू करा रहे हैं, जहां सुबह-शाम गर्म छड़ों से सजा देना और कोड़ों की मार देना रोजमर्रा की बात है।

यातनाओं का अड्डा

सऊदी अरब में 1960 के दशक से बने इन दार अल-रिया सुधार गृहों में महिलाओं को सुधारने के नाम पर अमानवीयता की हदें पार की जाती हैं। समाज के पुरुष-निर्धारित नियमों को तोड़ने की कोशिश करने वाली हर लड़की को यहाँ बंद कर दिया जाता है, चाहे वह प्रेम संबंध में हो या बिना अनुमति के घर से बाहर निकलने पर। रिपोर्ट बताती हैं कि यहाँ की महिलाओं को हफ़्ते में कई बार पीटा जाता है, प्रार्थना न करने पर पीटा जाता है और धार्मिक शिक्षा के नाम पर उन्हें जबरन शिक्षा लेने के लिए मजबूर किया जाता है।

स्त से बात करने की अनुमति नहीं

इन केंद्रों में कैद महिलाओं को परिवार से मिलने या किसी दोस्त से बात करने की अनुमति नहीं है। कई मामलों में, ये महिलाएँ सालों तक वहाँ बंद रहती हैं जब तक कि कोई पुरुष अभिभावक उन्हें लेने नहीं आता। एक पूर्व पीड़िता ने कहा कि जब उसे दार अल-रिया भेजा गया, तो उसने आत्महत्या करने की कोशिश की क्योंकि उसे पता था कि वहाँ क्या होता है। उसने कहा कि यह जगह नरक जैसी है।

मिटा दी जाती है पहचान

यहाँ लड़कियों की पहचान मिटा दी जाती है। उन्हें नाम से नहीं, बल्कि नंबर से बुलाया जाता है, जैसे कि नंबर 35, आगे आओ। अगर कोई लड़की अपने परिवार का नाम बताती है, तो उसे सार्वजनिक रूप से पीटा जाता है। यौन शोषण की आरोपी लड़कियों को मेडिकल जांच के नाम पर वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है और उन्हें नींद की गोलियां दी जाती हैं ताकि वे विरोध न कर सकें।

धमकी देकर किया यौन शोषण

मानवाधिकार कार्यकर्ता मरियम अल-दोसरी और सारा अल-याहिया ने दर्जनों लड़कियों की कहानियां इकट्ठी की हैं। एक लड़की ने बताया कि कैसे उसके पिता ने उसे सुधारगृह भेजने की धमकी देकर उसका यौन शोषण किया। एक अन्य महिला को सिर्फ इसलिए छह महीने जेल की सजा सुनाई गई क्योंकि उसने एक पीड़ित लड़की को अपने घर में पनाह दी थी। सऊदी कानून के मुताबिक, ‘अनुपस्थित’ महिला को पनाह देना अपराध माना जाता है।

ये सुधारगृह दरअसल परिवारों की सामाजिक प्रतिष्ठा बचाने का जरिया बन गए हैं। अगर किसी महिला का उसके ही परिवार के किसी सदस्य द्वारा यौन शोषण किया जाता है या वह गर्भवती हो जाती है तो परिवार उसे दार अल-रिया में डाल देता है ताकि समाज के सामने उसकी कोई शर्मिंदगी न हो। ऐसे मामलों में अपराधी खुलेआम घूमते हैं और पीड़िता जेल में बंद रहती है।

सऊदी लड़कियों में बचपन से ही इन सुधार गृहों का डर भर दिया जाता है। एक छात्रा ने बताया कि जब वह 16 साल की थी, तब एक महिला सुधार गृह से स्कूल आई थी और उसने बताया था कि कैसे उसे प्रेम संबंध में शामिल होने के बाद सुधार गृह भेज दिया गया था। उसने छात्राओं को चेतावनी दी कि “अगर कोई महिला ‘सस्ती’ हो जाती है, तो वह जीवन भर सस्ती ही रहेगी।”

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