India News (इंडिया न्यूज़), Sudan Civil War: अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक सूडान में अकाल ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है। हर दिन बच्चे भूख से मर रहे हैं। गृहयुद्ध की वजह से हालात और खराब होते जा रहे हैं। नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल, डेनिश रिफ्यूजी काउंसिल और मर्सी कॉर्प्स ने सूडान के हालात पर एक संयुक्त बयान जारी किया है। जिसमें बताया गया है कि कैसे सूडान के लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। फिर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय खामोश है। यह बहस इस बात पर उलझी हुई है कि सूडान के संकट को अकाल माना जाए या नहीं। 2.5 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर सूडान की आधी से ज्यादा आबादी भुखमरी की कगार पर है।
नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के मुताबिक सूडान के 2.5 करोड़ से ज्यादा लोग खाद्य संकट से गुजर रहे हैं। बच्चों के लिए दूध जैसी जरूरी चीजें भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। खाद्य संकट पर संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक रिपोर्ट में भी सूडान के अकाल का जिक्र है। संयुक्त राष्ट्र के कृषि संगठन की मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमा टोरेरा के मुताबिक अकाल के मापदंडों के 5 चरण हैं। पांचवां सबसे खतरनाक है। इस समय दुनिया भर में 7 लाख से ज्यादा लोग इस चरण में हैं। सूडान में इनकी संख्या काफी ज्यादा है।
अकाल के लिए क्या हैं मापदंड?
किसी भी देश को अकालग्रस्त घोषित करने के लिए जरूरी है कि वहां हर दिन 10 हजार में से चार बच्चे मरें या एक तिहाई से ज्यादा आबादी कुपोषित हो। यह अंतरराष्ट्रीय मापदंड है। लेकिन गृहयुद्ध से जूझ रहे सूडान में यह तय करना बहुत मुश्किल है। यहां न तो मानवीय संगठन पहुंच पा रहे हैं और न ही दूसरी एजेंसियां।
बांग्लादेश की इस इस्लामिक पार्टी से चीनी राजदूत ने की मुलाकात, जो भारत से करता है नफरत
सूडान में डेढ़ साल से गृहयुद्ध क्यों छिड़ा हुआ है?
सूडान करीब डेढ़ साल से गृहयुद्ध से जूझ रहा है। गृहयुद्ध की शुरुआत अप्रैल 2023 में हुई थी। सूडान के दो बड़े सैन्य संगठन- सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) सत्ता पर कब्जा करने के लिए आपस में भिड़ गए। पहले दोनों के बीच राजधानी में झड़प हुई। फिर यह भीषण लड़ाई में बदल गई और गृहयुद्ध का रूप ले लिया। ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट ट्रैकर की एक रिपोर्ट के मुताबिक गृहयुद्ध के चलते सूडान से करीब 20 लाख लोग अपना घर छोड़कर इथियोपिया, साउथ सूडान और चाड जैसे पड़ोसी देशों में शरण लिए हुए हैं।
अफ्रीका में सूडान अकेला ऐसा देश नहीं है, जो खराब हालत में है। सोमालिया, माली, हैती, बुक्रीना फासो जैसे देश भूखमरी और अकाल की चपेट में हैं। नामीबिया में तो खाद्यान्न संकट इतना गहरा गया है कि लोगों को खाना खिलाने के लिए हाथी जैसे बड़े जानवरों को मारने की तैयारी शुरू हो गई है। ताकि उनका मांस लोगों में बांटा जा सके।