India News (इंडिया न्यूज), Powerful Countries Wiped off World Map: किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी पहचान उसका देश होता है। दुनिया में हम कहीं भी जाएं, हमें हमारे देश या हमारे क्षेत्र के नाम से ही जाना जाता है। लेकिन क्या हो अगर देश ही खत्म हो जाए… पिछले 200 सालों में कई ऐसे शक्तिशाली देश हुए हैं, जो आज की दुनिया में मौजूद नहीं हैं। उनका नाम लेने वाला भी कोई नहीं है। अगर कहीं कुछ मौजूद भी हैं, तो उनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है। तो आइए जानते हैं उन देशों के बारे में जो इतिहास के अंधेरे में खो गए और आज सिर्फ किताबों में जिंदा है।
कौन-कौन से देश हो गए विलुप्त
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, प्रुशिया यूरोप का एक शक्तिशाली देश था। अपनी विस्तारवादी नीति के चलते एक समय में इसने यूरोप के बड़े हिस्से को अपने अधीन कर लिया था। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की हार ने प्रुशिया को विघटित कर दिया। इसका क्षेत्र पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी में बंट गया। इस देश में आज के पोलैंड, रूस, लिथुआनिया, डेनमार्क के इलाके शामिल थे।
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य विघटित हो गया था। इसकी जगह 28 अक्टूबर 1918 को चेकोस्लोवाकिया की स्थापना हुई। इसमें आज के बोहेमिया, मोराविया, सिलेसिया और स्लोवाकिया के इलाके शामिल थे। टॉमस गैरिग मासारिक इस देश के पहले राष्ट्रपति बने। दूसरे विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप चेकोस्लोवाकिया में कई ऐसे घटनाक्रम हुए कि यह देश परेशानियों से जूझता रहा। सोवियत संघ के पतन के कुछ ही महीनों बाद 1 जनवरी 1993 को चेकोस्लोवाकिया भी शांतिपूर्वक दो स्वतंत्र देशों चेक गणराज्य और स्लोवाकिया में विभाजित हो गया।
टेक्सास गणराज्य
टेक्सास जो आज संयुक्त राज्य अमेरिका के एक महत्वपूर्ण राज्य के रूप में अपनी पहचान बना चुका है, कभी एक स्वतंत्र देश था। इसकी अपनी सेना, अपना राष्ट्रपति और संविधान था। 1836 में टेक्सास ने मैक्सिको से अलग होकर खुद को एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। लेकिन इससे दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया। टेक्सास के कुछ लोग अमेरिका में शामिल होना चाहते थे लेकिन अमेरिका में गुलामी विरोधी आंदोलन के कारण वे पीछे हट गए। क्योंकि टेक्सास के लोग गुलाम रखना सम्मान की बात मानते थे। लेकिन 1845 तक हालात ऐसे बदले कि टेक्सास सहमति से अमेरिका का हिस्सा बन गया। हालांकि, टेक्सास के कई लोग आज भी खुद को एक स्वतंत्र देश का नागरिक मानते हैं।
पूर्वी जर्मनी
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित हो गया था। पूर्वी जर्मनी साम्यवादी सोवियत संघ के प्रभाव में आ गया था। इसे मुख्य रूप से जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य कहा जाता था, जबकि पश्चिमी जर्मनी यूरोप के प्रभाव में रहा। इन दोनों देशों को अलग करके बर्लिन की दीवार बनाई गई थी। यह दीवार शीत युद्ध का उदाहरण बन गई। सोवियत संघ के पतन के बाद पूर्वी जर्मनी में साम्यवादी राज्य का भी पतन हो गया। 1989 में जर्मनी के लोगों ने बर्लिन की दीवार को गिरा दिया और जर्मनी एक एकीकृत देश बन गया। लेकिन आज भी इन दोनों क्षेत्रों के बीच असमानता देखने को मिलती है।
दक्षिण वियतनाम
अमेरिका से लड़ाई के लिए दुनियाभर में मशहूर वियतनाम के इस हिस्से को आधिकारिक तौर पर वियतनाम गणराज्य का नाम दिया गया। दरअसल, जिनेवा संधि के तहत वियतनाम दो भागों में विभाजित हो गया था। दक्षिण वियतनाम एक गैर-साम्यवादी देश के रूप में उभरा। यह देश 1955 से 1976 तक अस्तित्व में रहा। वियतनाम युद्ध में इस देश ने अमेरिका के साथ मिलकर उत्तरी वियतनाम के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। लेकिन अमेरिका के जाने के बाद 1976 में उत्तरी वियतनाम ने दक्षिण वियतनाम पर कब्जा करके उसे अपना हिस्सा बना लिया। इसके बाद दोनों देशों ने मिलकर वियतनाम समाजवादी गणराज्य का गठन किया।
यूगोस्लाविया
जानकारी के अनुसार, यूगोस्लाविया का गठन प्रथम विश्व युद्ध के बाद दक्षिण पूर्वी यूरोप में हुआ था। 1918 में बने इस देश में कई मूल के लोग रहते थे। इनमें सर्ब, क्रोएट और स्लोवेनियाई प्रमुख थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूगोस्लाविया एक साम्यवादी राज्य बन गया। हालांकि, अपने प्रमुख राजनेता टीटो के नेतृत्व में यह देश शीत युद्ध के दौरान भी भारत की गुटनिरपेक्ष राजनीति का अहम सदस्य बना रहा। 1990 के दशक में यहां जातीय हिंसा शुरू हुई। और इसके परिणामस्वरूप कई देश बने। इनमें स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया, सर्बिया, मोंटेनेग्रो, उत्तरी मैसेडोनिया आदि शामिल हैं।
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