India News (इंडिया न्यूज़), UK Super Lab, नई दिल्ली: कोविड महामारी के कारण दुनिया में काफी तबाही हुई है। इस वायरस के चलते दुनियाभर के लोगों ने तड़प-तड़प कर अपनी जान गंवाई है। ऐसा फिर से न हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए विश्व के कई देशों में रिसर्च फैसिलिटी तैयार की जा रही है। ब्रिटेन में भी एक ऐसी ही सुपर लैब शुरू की गई है। जो महज 100 दिनों में किसी भी महामारी के लिए वैक्सीन को तैयार कर देगी।

इस लैब में होगा कई तरह के वायरस पर टेस्ट

वैज्ञानिकों को इस बात का डर है कि आने वाले समय में दुनिया में कोरोना महामीरी से भी ज्यादा खतरनाक वायरस तबाही मचा सकता है। ब्रिटेन के सेलिसबरी शहर में इससे बचने के लिए सेलिसबरी शहर में ‘वैक्सीन डेवलपमेंट एंड इवैल्यूएशन सेंटर’ खोला गया है। हाई सिक्योरिटी वाले पोर्टन डाउन मिलिट्री साइंस फैसिलिटी में ये सुपर लैब खोली गई है।कई तरह के वायरस पर इस लैब में टेस्ट होना है। जिस कारण सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया है।

खतरनाक वायरस के ऊपर इस लैब में होगी रिसर्च

ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के अनुसार, किसी भी खतरनाक वायरस के लिए इस लैब में 100 दिनों के अंदर वैक्सीन तैयार होने लगेगी। इसलिए भी इस लैब को काफी खास माना जा रहा है। क्योंकि यह दुनिया के कुछ चुनिंदा स्थानों में से एक है। जहां पर खतरनाक वायरस के ऊपर भी रिसर्च किया जाएगा। ब्रिटिश कैबिनेट ने इसे लेकर कहा कि अगले 5 सालों में दुनिया में अगली महामारी आने के 5 से 25 परसेंट चांस हैं।

“कोरोना ने किस तरह तबाही मचाई थी ये सबने देखा था”

वहीं हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की चीफ डेम जेनी हैरीज ने इसपर कहा, “हमें किसी बीमारी के महामारी बनने से पहले उसे रोकने के लिए तैयार होने की जरूरत है। अगर कोई खतरनाक महामारी आती है, तो कम से कम हमारे पास ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। जहां हम तेजी से कार्रवाई कर उसे तबाही मचाने से रोक सकें। ब्रिटेन में कोरोना ने किस तरह तबाही मचाई थी, ये सबने देखा था।”

WHO ने बताया किन कारणों से आएगी अगली महामारी?

इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी देते हुए कहा कि दुनिया में अगली महामारी वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के कारण आ सकती है। जीका, निपाह, लस्सा बुखार और इबोला जैसी बीमारियां शामिल हैं। इन बीमारियों की काट ढूंढने का अभी काम चल रहा है। ब्रिटेन की इस सुपर लैब में दिन-रात 200 वैज्ञानिक काम करेंगे। साथ ही इसे 650 करोड़ रुपये की फंडिंग मिल रही है।

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