India News (इंडिया न्यूज),PM Modi US Visit:फ्रांस के दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के लिए रवाना हो चुके हैं। कल वे व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी और ट्रंप की आखिरी आमने-सामने की मुलाकात को पांच साल हो चुके हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लगातार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की तारीफ की है। माना जा रहा है कि यह मुलाकात न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा देगी, बल्कि राष्ट्रपति ट्रंप के अगले चार साल के कार्यकाल पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।
भारत-अमेरिका संबंध
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की सबसे बड़ी खासियत उनकी निरंतरता रही है। पिछले कुछ दशकों में अमेरिका का कोई भी राष्ट्रपति सत्ता में आया हो, भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की गई है।
अमेरिका ने भारत को एक बड़े रक्षा साझेदार का दर्जा दिया है। इससे उसे उन्नत सैन्य तकनीकों और हथियार प्रणालियों की खरीद में प्राथमिकता मिलती है।भारत में हाल ही में हुए एयर-शो में अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों की मौजूदगी दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को दर्शाती है। अमेरिका भारत को और अधिक ड्रोन, लड़ाकू विमान और उन्नत मिसाइल तकनीक की पेशकश कर सकता है।
भारत को एच-1बी वीजा और ग्रीन कार्ड से जुड़े मुद्दों पर और अधिक रियायतें मिल सकती हैं, जिससे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों को अवसर मिलेंगे।दोनों देश सेमीकंडक्टर, डिजिटल अर्थव्यवस्था और एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) में सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर सकते हैं। इसके साथ ही अमेरिकी कंपनियां मेक इन इंडिया के तहत भारत में निवेश बढ़ा सकती हैं।
दोनों देशों के बीच हो सकते हैं ये समझौते
- रक्षा और सैन्य सहयोग: भारत और अमेरिका के बीच अत्याधुनिक सैन्य तकनीकों के हस्तांतरण पर बातचीत हो सकती है। नौसेना और हिंद-प्रशांत सहयोग: दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर एक नए समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।
- ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकी: भारत तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में अमेरिका से अधिक निवेश की मांग कर सकता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और साइबर सुरक्षा: दोनों देश डिजिटल प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर सकते हैं।
भारत की अनूठी कूटनीतिक
भारत इस समय दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो रूस, अमेरिका, मध्य पूर्व, यूरोप और अफ्रीका के साथ समान रूप से संतुलित संबंध रखता है। इसके अलावा चीन के साथ तनाव के बावजूद भारत बातचीत के रास्ते खुले रखे हुए है।यह मुलाकात भारत और अमेरिका के बीच भविष्य के कूटनीतिक संबंधों की दिशा तय करेगी। खास तौर पर रक्षा, व्यापार, इंडो-पैसिफिक रणनीति और वैश्विक कूटनीति से जुड़े बड़े फैसले इस यात्रा के दौरान लिए जा सकते हैं।
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