India News (इंडिया न्यूज), NASA Artemis Mission : नासा (NASA) का महत्वाकांक्षी अभियान मिशन ‘आर्टेमिस’क्या अब बंद करने वाला है? ऐसे सवाल इस लिए उठ रहे हैं क्योंकि बुधवार को नासा ने अचानक लंबे समय से सहयोगी रहे अंतरिक्ष विज्ञानी जिम फ्री की रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया, 20 फरवरी को नासा में उनका आखिरी दिन था। जिम फ्री ने लगभाग लगभग 30 साल तक नासा में काम किया। लेकिन अचानक जिम को नासा से एकाएक रिटायर क्‍यों कर दिया गया, इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया है। कहा जाता है कि जिम फ्री, आर्टेमिस मिशन के समर्थक रहे हैं। इसी वजह से ये सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या यही वजह है कि जिम फ्री को नासा से बाहर कर दिया गया है? ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन नासा के आर्टेमिस मिशन को कम कर सकता है या रद्द कर सकता है। हालांकि, आर्टेमिस मिशन की कल्पना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही की गई थी। अब ऐसा लग रहा है कि वह चांद पर जाने के अपने प्‍लान को दरकिनार कर, सीधे मंगल ग्रह पर जाने के बारे में सोच रहे हैं।

इसके अलावा बोइंग द्वारा अपने मून रॉकेट पर काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना भी सामने आई है। ऐसा माना जा रहा है कि राष्‍ट्रपति ट्रंप ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क के कारण चांद छोड़ मिशन मंगल की प्‍लानिंग कर रहे हैं।

चांद नहीं मंगल के लिए उड़ान भरेगा अमेरिका

एलन मस्क का स्पेसएक्स की बात करें तो मंगल मिशन के लिए वो प्रोटोटाइप स्टारशिप रॉकेट पर भारी दांव लगा रहा है। वहीं ट्रंप ने भी निजी अंतरिक्ष यात्री और ई-पेमेंट अरबपति जेरेड इसाकमैन को भी अपने अगले नासा प्रमुख के रूप में चुना है, जो एलन मस्क के करीबी सहयोगी हैं, जो स्पेसएक्स के साथ दो बार अंतरिक्ष में उड़ान भर चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि एलन मस्‍क के मिशन मंगल के कारण ही नासा का आर्टेमिस मिशन पीछे छूटता नजर आ रहा है। लेकिन अभी तक आर्टेमिस मिशन को बंद करने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन संकेत यही मिल रहे हैं कि अमेरिका अब चांद नहीं मंगल के लिए उड़ान भरेगा।

आर्टेमिस मिशन की बात करें तो आर्टेमिस-3 मिशन में चंद्रमा पर उतरने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में एक महिला और एक पुरुष होंगे। इस मिशन के दौरान वैज्ञानिक चंद्रमा पर पानी के बर्फ के भंडार की खोज करेंगे। इसके अलावा नासा चंद्रमा पर 3डी-प्रिंटेड आवास बनाने की तकनीक पर भी काम कर रहा है।

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भारत का चंद्रयान मीशन

नासा के मिशन आर्टेमिस की तरह भारत भी चंद्रयान मिशन सीरीज पर काम कर रहा है। इनमें चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 शामिल हैं. भारत ने चंद्रयान के जरिए अंतरिक्ष में ऊंची छलांग लगाई है. चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च किया गया, यह मिशन चंद्रमा का पहला परिक्रमा करने वाला भारतीय अंतरिक्ष यान था। चंद्रयान-1 साल 2008 में लॉन्च किया गया, यह मिशन चंद्रमा का पहला परिक्रमा करने वाला भारतीय अंतरिक्ष यान था. इसने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें और डेटा एकत्र किए और चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज की। इसके बाद चंद्रयान-2 साल 2019 में लॉन्च किया गया, इस मिशन में एक लैंडर और रोवर शामिल थे. हालांकि, लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग सफल नहीं हो पाई, लेकिन ऑर्बिटर ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया और महत्वपूर्ण डेटा भेजा था।

चंद्रयान-3 साल 2023 में लॉन्च किया गया, इस मिशन में एक लैंडर और रोवर शामिल थे. लैंडर ने सफलतापूर्वक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की और रोवर चंद्रमा की सतह पर घूमकर डेटा एकत्र किया. यह बेहद कामयाब मिशन साबित हुआ, जब सितंबर 2023 में विक्रम के इंजनों को फिर से सक्रिय किया गया. फिर वह चंद्रमा की सतह से लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर उठा और अपने मूल लैंडिंग प्वाइंट से 30-40 सेंटीमीटर दूर फिर से लैंड किया. भविष्‍य में यह सफल प्रयोग काफी काम आने वाला है।

भारत के अलावा चीन-रूस भी मून मिशन पर काम कर रहे हैं। चीन ने अपने मून मिशन को ‘चांग ई’ नाम दिया है। तो वहीं रूस के रूस के मून मिशन का नाम ‘लूना’ है। दुनिया के देशों के बीच इस वक्त चांद पर पहुंचने की रेस लगी हुई है। इसके पीछे की वजह चंद्रमा पर पृथ्वी में काम आने वाली दुर्लभ धातुओं का भंडार है, जो स्मार्टफोन जैसी टेक्‍नोलॉजी के लिए आवश्यक है। इसका अर्थ यह भी है कि चंद्रमा पर खनन से पृथ्वी के घटते भंडार पर दबाव कम हो सकता है।

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