India News (इंडिया न्यूज),Pakistan: जब से डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिकी के राष्ट्रपति बने तब से उन्होने कई बड़े फैसले लिए हैं। जे कई देशों के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं। अब उन्होंने चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने 70 से ज्यादा कंपनियों को व्यापार प्रतिबंध सूची में शामिल किया है। इनमें चीन, पाकिस्तान और यूएई समेत कई देशों की कंपनियां शामिल हैं।
इस वजह से लिया फैसला
अमेरिका ने इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है। वॉशिंगटन उन कंपनियों को निशाना बना रहा है जो चीन, रूस और ईरान को हथियार कार्यक्रमों में मदद कर रही हैं। इन प्रतिबंधों के चलते पाकिस्तानी कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कारोबार करना और मुश्किल हो जाएगा। पाकिस्तान के लिए बढ़ सकती हैं मुश्किलें ये प्रतिबंध पाकिस्तान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं हैं।
आर्थिक संकट से गुजर रहा है पाकिस्तान
देश इस समय महंगाई, पाकिस्तानी मुद्रा में गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी समेत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। खाद्यान्न, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है, जिसका आम जनता की आजीविका पर गहरा असर पड़ रहा है। पाकिस्तानी रुपया प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे महंगाई का दबाव बढ़ रहा है।
पाकिस्तान के आर्थिक संकट से उबरने में विफल होने का एक बड़ा कारण देश में जारी राजनीतिक अस्थिरता, अलगाववादी आंदोलनों और आतंकवादी हमलों का बढ़ता खतरा है। देश के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में अलगाववादी भावनाएं तीव्र हो रही हैं, जहां बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे चरमपंथी संगठन सीधे सरकार को चुनौती दे रहे हैं। इसके साथ ही खैबर पख्तूनख्वा प्रांत भी तेजी से आतंकवादी हिंसा का केंद्र बनता जा रहा है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे संगठन लगातार सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है।
पाकिस्तान अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अन्य वैश्विक भागीदारों से मिलने वाले कर्ज और बाहरी वित्तपोषण पर अत्यधिक निर्भर है। इस बीच, आईएमएफ ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और उसे कम करने के पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन करने के लिए 28 महीने की अवधि में 1.3 अरब डॉलर के ऋण पैकेज को मंजूरी देने पर सहमति जताई है। यह नया समझौता पहले से चल रहे 7 अरब डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम की पहली समीक्षा के तहत हुआ है।
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