India News (इंडिया न्यूज), Trump On China-Taiwan Issue : अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप अपने बयानबाजी से दुनिया में तहलका मचाए हुए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करते हुए ट्रंप और पुतिन के बीच करीबी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा हाल में जंग खत्म करने को लेकर हुई मीटिंग में यूक्रेन को न बुलाने से ज़ेलेंस्की नखुश हैं। अब इसी कड़ी में ट्रंप की तरफ से हाल में दिए बयान की वजह से ताइवान को जोर का झटका लगा है। वहीं चीन इससे काफी खुश हुआ होगा। असल में बुधवार 26 फरवरी को एक कैबिनेट मीटिंग के दौरान एक रिपोर्टर ताइवान पर सवाल किया कि क्या उनके पद पर रहते हुए चीन कभी ताइवान पर बलपूर्वक कब्जा नहीं करेगा? इस सवाल का जवाब देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, मैं इस पर कभी टिप्पणी नहीं करता, क्योंकि मैं कभी भी खुद को उस स्थिति में नहीं रखना चाहता।

चीन के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं ट्रंप !

हाल में ट्रंप के दिए गए बयान की वजह से एशिया में सनसनी मच गई है। चीन-ताइवान मुद्दे को लेकर ट्रंप ने जो बयान दिया है उससे से अंदेशा जताया जा रहा है कि ट्रंप चीन के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान को ताइवान के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिका ताइवान की धरती पर चीनी कब्जे के सख्त खिलाफ रहा है।

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यूक्रेन की तरह होगा ताइवान का हाल?

रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना रूख बदलते हुए ट्रंप ने हाल में जो बयान दिए हैं, उससे ऐसा लगता है कि इस जंग को शुरू करने में रूस से ज्यादा हाथ यूक्रेन का है। उसके बाद यूक्रेन युद्ध में शांति समझौते के लिए रूस से वार्ता कर रहे हैं, जिसमें से यूक्रेन को बाहर रखा गया है और सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुई बातचीत को रूस और अमेरिका दोनों के अधिकारियों ने काफी सकारात्मक बता दिया था।

यही नहीं पिछले तीन साल से यूक्रेन के लिए जारी अमेरिकी मदद के बदले अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन से उसके खनिजों का सौदा कर रहे हैं और शांति समझौते में रूस को महत्व देने में लगे हैं।

ताइवान को आजाद देश नहीं मानता US

जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका ताइवान को औपचारिक रूप से एक आजाद देश नहीं मानता है। लेकिन ये ताइवान से अनौपचारिक संबंध बनाए रखता है और एक कानून के तहत इसका सबसे महत्वपूर्ण समर्थक और हथियारों का आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। लेकिन इन बयानों से ताइवान को बड़ा झटका लगा है और अगर यूक्रेन की तरह ट्रंप ताइवान के मुद्दे पर चीन से सीधी बातचीत करते हैं, तो इससे ताइवान को बड़ा नुकसान हो सकता है।

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