India News (इंडिया न्यूज), Trump Tariff Effect On India: मार्च महीना खत्म होने वाला है और अप्रैल के दूसरे दिन यानी 2 अप्रैल से भारत पर ट्रंप टैरिफ लगाया जा सकता है। इसका व्यापक असर कार से लेकर जेनरिक तक पड़ने की संभावना है। आयातित ऑटो और पार्ट्स पर 25 फीसदी ड्यूटी लगाना ट्रंप के अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को उबारने के प्रयास का एक उदाहरण है। इसके अलावा पारस्परिक टैरिफ का असर फार्मा समेत कई सेक्टरों पर दिख सकता है और शेयरों पर भी इसका असर दिख सकता है। डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से भारत को टैरिफ किंग कहते आ रहे हैं और हाल ही में उन्होंने भारत पर पारस्परिक टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जिसके लिए 2 अप्रैल की तारीख तय की गई थी, जो काफी करीब है।

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

इसका असर देश के 31 अरब डॉलर के निर्यात पर दिख सकता है। इसे लेकर कार-ऑटो पार्ट्स के साथ-साथ फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वैलरी सेक्टर सबसे ज्यादा फोकस में हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है, जिसने 2000 से अब तक कुल 67.76 बिलियन डॉलर का एफडीआई किया है। फार्मा सेक्टर भारत में सबसे जोखिम भरे सेक्टरों में से एक है, जबकि अमेरिका अभी फार्मा आयात पर न्यूनतम शुल्क लगाता है। लेकिन अगर भारत की बात करें तो यहां अमेरिकी फार्मा उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाने से यह सीधे तौर पर पारस्परिक टैरिफ के दायरे में आ जाता है।

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उद्योग समूहों ने जताई चिंता

उद्योग समूहों ने चिंता जताई है कि वितरकों और जेनेरिक निर्माताओं के लिए अतिरिक्त लागत का बोझ उठाना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, अल्पावधि में इस सेक्टर में कुछ व्यवधान आने की उम्मीद है। जिन सेक्टरों पर फोकस रहेगा, उनमें सन फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन और डॉ रेड्डीज लैब शामिल हैं। तो वहीं अगर हम इलेक्टॉनिक्स सेक्टर की बात करें तो इस सेक्टर में डिक्सन टेक्नोलॉजीज और कायन्स टेक जैसी कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ सकता है, जबकि ज्वैलरी सेक्टर में मालाबार गोल्ड, रेनेसां ज्वैलरी, राजेश एक्सपोर्ट्स और कल्याण ज्वैलर्स समेत कई भारतीय कंपनियों की मौजूदगी अमेरिकी बाजार में बढ़ रही है और पारस्परिक टैरिफ के कारण शेयरों पर इसका असर पड़ सकता है।

आईटी सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा?

वहीं, विशेषज्ञ आईटी सेक्टर को लेकर भी सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर व्यापार तनाव बढ़ता है और अमेरिका में ग्राहकों का खर्च घटता है तो इंफोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियों की वित्तीय सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। भारत पर ट्रंप के टैरिफ की तारीख नजदीक आने के साथ ही नोमुरा के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि भारत अपने कुछ समकक्षों की तुलना में ट्रंप प्रशासन के प्रति ज्यादा उदार रवैया अपना रहा है। उन्होंने कहा है कि हालांकि बीटीए यानी द्विपक्षीय व्यापार समझौते का अच्छा असर दिखने में कुछ समय लगेगा, लेकिन हम इसे एक उत्साहजनक संकेत के तौर पर देखते हैं। यह दर्शाता है कि जहां भारत सीधे तौर पर अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ के निशाने पर है, वहीं बीटीए भारत पर ऐसे किसी भी शुल्क के असर को कम कर सकता है।

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