India News (इंडिया न्यूज), Turkey Israel Relations: तुर्की और इजरायल के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। हालांकि, अब तुर्की ने साफ कर दिया है कि वह सीरिया में इजरायल के साथ किसी भी तरह का टकराव नहीं चाहता है। तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने ब्रुसेल्स में नाटो की बैठक के दौरान कहा कि इजरायल के हमले सीरिया की स्थिरता को नुकसान पहुंचा रहे हैं और इससे आईएसआईएस जैसी आतंकी ताकतों को फिर से उभरने का मौका मिल रहा है। फिदान ने दो टूक कहा कि तुर्की सीरिया में किसी भी तरह का सीधा टकराव नहीं चाहता है। उन्होंने हाल के हफ्तों में सीरियाई सैन्य ठिकानों पर किए गए इजरायली सैन्य हमलों की आलोचना की।

इजरायल को लेकर क्या है तुर्की का रूख?

उन्होंने कहा कि ये हमले तुर्की और सीरिया की संयुक्त रणनीति को कमजोर कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य आईएसआईएस और कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) जैसे आतंकी संगठनों को खत्म करना है। तुर्की पहले ही गाजा पर इजरायल के हमलों को नरसंहार करार दे चुका है और इसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में याचिका भी दायर कर चुका है। इसके अलावा तुर्की ने इजरायल के साथ अपने सभी व्यापारिक संबंध भी खत्म कर दिए हैं। हालांकि, सीरिया के हालात पर तुर्की का रुख सतर्क है, क्योंकि उसका मानना ​​है कि इजरायल की हरकतों से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और संघर्ष बढ़ सकता है।

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तुर्की नहीं करेगा हस्तक्षेप

अमेरिका के साथ हाल ही में हुई बातचीत के बाद तुर्की ने संकेत दिया है कि वह सीरिया पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाने के पक्ष में है, ताकि वहां पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो सके। फिदान ने कहा कि नए सीरिया के लिए नए नजरिए की जरूरत है और इसके लिए तुर्की अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर सीरिया और इजरायल के बीच कोई आपसी समझ बनती है तो तुर्की उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।

रूस और यूक्रेन दोनों के अच्छे सहयोगी है तुर्की

रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर भी तुर्की ने संतुलन बनाए रखा है। रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अच्छे संबंध रखने वाले तुर्की संभावित शांति वार्ता की मेजबानी के लिए तैयार है। फिदान ने अमेरिका से उम्मीद जताई कि वह ईरान के साथ बातचीत के जरिए भी कोई हल निकालेगा। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व को अब युद्ध की आग से सिर्फ कूटनीतिक तरीके ही बचा सकते हैं। ऐसे में तुर्की फिलहाल इजरायल के साथ टकराव की जगह रणनीतिक संयम और कूटनीति की राह पर आगे बढ़ता दिख रहा है।

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