India News (इंडिया न्यूज), Turkey vs Israel: तुर्की और इजराइल देशों के बीच 1949 से ही कूटनीतिक संबंध हैं। एक समय ऐसा था जब तुर्की इजराइल को मान्यता देने वाला पहला मुस्लिम देश था, लेकिन इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। खास तौर पर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के सत्ता में आने के बाद इजराइल के साथ संबंधों में खटास आने लगी और धीरे-धीरे दरार बढ़ती गई। गाजा में हमास के हमले में इजराइल की सैन्य कार्रवाई के बाद तुर्की खुलकर उसके खिलाफ सामने आया। तुर्की ने इजराइल के साथ व्यापारिक संबंधों पर भी रोक लगा दी।
इजराइल और तुर्की के बीच मौजूदा हालात पर नजर डालें तो दोनों देशों के बीच कभी भी सैन्य संघर्ष छिड़ सकता है, जिससे मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की चपेट में आ जाएगा।चलिए जानते हैं कि तुर्की और इजराइल के बीच तनाव की वजह क्या है? इजराइल तुर्की को अपना दुश्मन क्यों मानता है और इजराइल तुर्की को नाटो से बाहर क्यों करना चाह रहा है?
सीरिया बना दुश्मनी की वजह
सीरिया और इजराइल की सीमा मिलती है। हालांकि, सीरिया में राजनीतिक उथल-पुथल और बशर-अल-असद की सरकार के तख्तापलट के बाद इस देश में तुर्की का दखल बढ़ता जा रहा है। बताया जाता है कि सीरिया की अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को तुर्की का समर्थन प्राप्त है, जिससे इजराइल की टेंशन बढ़ रही है। इजराइल सीरिया में तुर्की के दखल को अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। दोनों ही देश सीरिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं और इस वजह से दोनों देशों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। इसी महीने सीरिया में तुर्की और इजराइल के लड़ाकू विमानों के बीच झड़प हुई थी। हालांकि, गनीमत रही कि किसी भी देश के बीच सीधा सैन्य टकराव नहीं हुआ।
तुर्की को नाटो से बाहर करने की कोशिशें
अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो के 31 सदस्य देशों में तुर्की भी शामिल है। इसके साथ ही तुर्की के अमेरिका से भी अच्छे संबंध हैं। नाटो सदस्य देशों के बीच एक संधि है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो नाटो के सदस्य देश मिलकर उसकी रक्षा करेंगे। वहीं, अमेरिका इजराइल को गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा देता है। दोनों देशों के बीच दोस्ती का आलम यह है कि जब इजरायल फिलिस्तीन में हमास और उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा था, तो अमेरिका खुलकर उसके समर्थन में आया था।
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अमेरिका ने इजरायल को अपने कई हथियार भी मुहैया कराए थे। हालांकि, तुर्की के साथ बढ़ते सैन्य संघर्ष में इजरायल को अमेरिकी समर्थन मिलने का मामला काफी पेचीदा है, जिसकी वजह तुर्की की नाटो सदस्यता है। ऐसे में इजरायल पूरी कोशिश कर रहा है कि तुर्की को नाटो से बाहर कर दिया जाए, ताकि अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति बनती है, तो अमेरिका तुर्की का साथ न दे सके।
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