India News (इंडिया न्यूज), Pakistan News: पाकिस्तान बहुत चालाक देश है। यह बिच्छू की तरह है। यह कब किसे काट ले, कोई नहीं जानता। यह अपने-पराए में फर्क नहीं करता। अब अपने फायदे के लिए यह उन दो देशों को आपस में भिड़ा रहा है, जिनके प्रति यह वफादार होने का दावा करता है। जी हां, पाकिस्तान अब चीन और अमेरिका को आपस में भिड़ाना चाहता है। दरअसल, बलूचिस्तान में आए दिन हो रहे आतंकी हमलों से निपटने में असमर्थ पाकिस्तान सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण बलूचिस्तान में चीनी नौसेना और एयरपोर्ट की स्थापना के लिए चीनी सेना को 5000 एकड़ से ज्यादा जमीन आवंटित की गई है। यह जमीन ग्वादर से करीब 70 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में और तुर्बत के बेहद करीब स्थित है।
पीएम शहबाज ने दिखाई ये चालाकी
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, शाहबाज ने यहां भी अपनी चालाकी दिखाई है। दिखावे के तौर पर पाकिस्तान सरकार ने यह जमीन देने के लिए चीन से एक शर्त पर समझौता किया। वह शर्त यह है कि चीन बलूचिस्तान के जिवानी इलाके का विकास करेगा। हालांकि, इसका असली मकसद वहां चीनी सेना का बेस बनाने की तैयारी करना है। अगर चीन इस इलाके में अपना पैर जमा लेता है तो दुनिया के सबसे अहम चोक पॉइंट्स में से एक होर्मुज जलडमरूमध्य पर उसका पूरा नियंत्रण हो जाएगा।
अमेरिका और चीन आपस में लड़ेंगे?
हालांकि, ऐसा हो पाएगा, इसमें थोड़ी शंका है। वजह यह है कि अमेरिका को शायद पाकिस्तान का यह कदम पसंद नहीं आएगा। अमेरिका इस पर आपत्ति जरूर जताएगा। ऐसे में पाकिस्तान की वजह से अमेरिका और चीन आमने-सामने आ सकते हैं। इसलिए आने वाले समय में पाकिस्तान ने चीन के साथ जो समझौता किया है, उसमें बदलाव होने की पूरी संभावना है। ऐसा करने के पीछे पाकिस्तान बेबस है। दरअसल, पाकिस्तान के सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां बलूचिस्तान पर अपना नियंत्रण पूरी तरह से खो चुकी हैं।
बलूचिस्तान को आजाद कराने वाले संगठन अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। इसकी वजह से पाकिस्तान इस इलाके पर अपना नियंत्रण लगभग खो चुका है। पाकिस्तान हर दिन वहां के आम लोगों पर बुरी तरह से अत्याचार कर रहा है। यहां के लोगों को कुचल रहा है। उसने क्रूरता की हदें पार कर दी हैं। इसकी वजह से यहां असंतोष लगातार बढ़ रहा है। बलूचिस्तान को अपने हाथ से फिसलता देख वहां के प्रशासन ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि बलूचिस्तान के लड़ाकों को अब पाकिस्तान के अलावा सीधे तौर पर चीनी सेना का भी सामना करना पड़ेगा। ऐसे में बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग होने के लिए फिर से लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी।