India News (इंडिया न्यूज), US-China Trade War 2025: अमेरिका और चीन के बीच का टैरिफ वॉर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने चीनी जहाजों पर नए बंदरगाह शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव बढ़ सकता है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) द्वारा जारी योजना के अनुसार, यह कर चीन के स्वामित्व वाले, संचालित या निर्मित जहाजों पर लागू होगा। इस योजना के अनुसार, 14 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर अप्रैल 2028 तक चरणबद्ध तरीके से कर बढ़ाया जाएगा। शुरुआत में यह कर 50 डॉलर प्रति टन होगा, जो बढ़कर 140 डॉलर प्रति टन हो जाएगा। साथ ही, प्रति कंटेनर कर 120 डॉलर से बढ़कर 250 डॉलर हो सकता है।

चीन ने की आलोचना

एससीएमपी के अनुसार, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इस फैसले की कड़े शब्दों में आलोचना की है। दरअसल, उन्होंने कहा कि इस कदम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, लागत बढ़ सकती है और अमेरिकी उपभोक्ताओं पर मुद्रास्फीति का बोझ बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि यह नीति अमेरिका में जहाज निर्माण उद्योग को पुनर्जीवित करने में सफल नहीं होगी। यूएसटीआर की योजना के अनुसार, प्रत्येक जहाज पर साल में अधिकतम पांच बार कर लगाया जाएगा। यह कर उस बंदरगाह पर लगाया जाएगा, जहां से जहाज सबसे पहले अमेरिका में प्रवेश करेगा, जिससे उसे छोटे बंदरगाहों को बायपास करने से रोका जा सकेगा।

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चीन की प्रमुख शिपिंग कंपनी

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि, इस नीति का सबसे अधिक प्रभाव चीन की प्रमुख शिपिंग कंपनियों जैसे कि COSCO और OOCL पर पड़ेगा। शिपिंग कंसल्टेंसी वेस्पुची मैरीटाइम के सीईओ लार्स जेन्सन के अनुसार, ओशन अलायंस, जिसमें COSCO, OOCL, एवरग्रीन और CMA CGM शामिल हैं, को अपने नेटवर्क में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। उनका अनुमान है कि कुछ बड़े चीनी कंटेनर जहाजों के लिए, प्रति पोर्ट कॉल कर $10 मिलियन से अधिक हो सकता है। दूसरी ओर, चीनी निर्मित जहाजों पर यह कर प्रति पोर्ट कॉल $4 मिलियन तक हो सकता है।

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