India News (इंडिया न्यूज), US President Donald Trump Gaza: अभी कुछ सप्ताह पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा को ‘नष्ट होने वाली जगह’ बताया था और इसे पूरी तरह से ‘साफ’ करने की बात कही थी। तब तक तो यही लग रहा था कि यह सिर्फ ट्रंप का पुराना मुखर अंदाज है, जो अक्सर सुर्खियों में रहता है। लेकिन अब तस्वीर साफ होती जा रही है। ओवल ऑफिस में बातचीत और फिर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका यात्रा के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बातें सामने आईं, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया।
ट्रंप ने अब खुलकर कहा है- अमेरिका गाजा पर कब्जे के लिए तैयार है। याद रहे, यह वही ट्रंप हैं जिन्होंने ग्रीनलैंड खरीदने की मंशा जताई थी, पनामा और कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बनाने की बात कही थी। अब सवाल उठता है- क्या गाजा को लेकर उनकी यह योजना महज एक और विवादित बयान है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति छिपी है?
ट्रंप ने क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ताजा बयान में कहा है कि फिलिस्तीनी गाजा लौटना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्होंने गाजा की मौजूदा स्थिति को ‘तबाही का मंजर’ बताया, जहां लगभग हर इमारत खंडहर में तब्दील हो चुकी है। ट्रंप ने सुझाव दिया कि फिलिस्तीनियों को कहीं और बसाकर उन्हें शांति से रहने का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण करेगा, वहां पड़े बमों को निष्क्रिय करेगा, पुनर्निर्माण करेगा और हजारों नौकरियां पैदा करेगा।
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उनके अनुसार, यह एक ऐसा बदलाव होगा जिस पर पूरे मध्य पूर्व को गर्व होगा। हालांकि, कई लोग ट्रंप के बयान को गाजा से फिलिस्तीनियों को बाहर निकालने के इरादे से देख रहे हैं। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जॉर्डन, मिस्र और दूसरे अरब देशों से अपील की कि वे फिलिस्तीनियों को अपने देश में बसाने के लिए आगे आएं। लेकिन इन देशों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
गाजा पर कब्जे की क्या रणनीति है?
*ट्रंप पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी को मजबूत रखना चाहते हैं ताकि वह ईरान और दूसरी विरोधी ताकतों पर नजर रख सकें। इजरायल के कट्टर समर्थक ट्रंप इस क्षेत्र में इजरायल को कूटनीतिक मान्यता दिलाने में अमेरिका की भूमिका को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। अगर अमेरिकी सेना यहां रहती है तो यह उद्देश्य और मजबूत होगा।
*मध्य पूर्व ऊर्जा संसाधनों का केंद्र है। गाजा पट्टी में भले ही बड़े तेल भंडार न हों, लेकिन इस क्षेत्र में स्थिरता से अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका को फायदा होता है। यह खास तौर पर ईरान, रूस और चीन को कमजोर करने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
* टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के हालिया बयान का सबसे अजीब पहलू यह था कि उन्होंने गाजा के पुनर्निर्माण की कल्पना एक पर्यटक और व्यापार केंद्र के रूप में की थी, जिसे वे “मध्य पूर्व का रिवेरा” बनने की क्षमता वाला बताते हैं। ट्रंप पहले रियल एस्टेट डेवलपर रह चुके हैं। और इसने अक्सर उनकी भू-राजनीतिक सोच को प्रभावित किया है। वे जटिल कूटनीतिक चुनौतियों को भी संपत्ति सौदों और आर्थिक विकास के नजरिए से देखते हैं। लेकिन आलोचकों का कहना है कि उनकी दृष्टि गाजा की गहरी राजनीतिक, ऐतिहासिक और सुरक्षा वास्तविकताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज करती है।
अमेरिकी सैनिकों का इस्तेमाल
इजराइल के धुर दक्षिणपंथी समूह लंबे समय से फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से कहीं और बसाने की वकालत करते रहे हैं। दूसरी ओर, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने साफ तौर पर कहा था कि वे गाजा से फिलिस्तीनियों को हटाने के खिलाफ हैं।
जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप से पूछा गया कि क्या वे अपनी योजना को लागू करने के लिए अमेरिकी सेना का सहारा लेंगे, तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो वे सैन्य कार्रवाई से भी पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिका किस कानूनी आधार पर गाजा में ऐसा कदम उठा सकता है।
क्या ट्रंप की योजना को लागू किया जा सकता है?
इसका सीधा जवाब है – नहीं। अंतरराष्ट्रीय कानून किसी भी आबादी के जबरन विस्थापन पर सख्त रोक लगाता है। गाजा पहले से ही उन फिलिस्तीनियों का घर रहा है, जिन्हें इजरायल के निर्माण के दौरान हुए युद्धों में बेघर कर दिया गया था या जबरन हटा दिया गया था। अगर डोनाल्ड ट्रंप की योजना को लागू किया जाता है, तो इसका मतलब होगा कि इन फिलिस्तीनियों को अरब दुनिया में कहीं और या उससे भी कहीं दूर भेज दिया जाएगा।
यह योजना न केवल “दो राज्य समाधान” की संभावना को पूरी तरह से खत्म कर देगी, बल्कि इसे अरब जगत और फिलिस्तीनियों के ‘निर्वासन योजना’ या ‘जातीय सफाई’ के रूप में भी देखा जाएगा। यही कारण है कि अरब देशों ने इस विचार को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
अरब लीग ने की आलोचना
शनिवार को मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, फिलिस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस योजना की आलोचना की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ऐसा कदम उठाता है, तो इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा हो सकता है, जिससे संघर्ष और बढ़ सकता है।
हालांकि, जिनेवा कन्वेंशन के तहत, आबादी को स्थानांतरित करने की अनुमति कुछ विशेष परिस्थितियों में दी जा सकती है, जैसे कि अगर नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो या सैन्य कारणों से ऐसा करना आवश्यक हो। इसके अलावा, युद्ध के कैदियों को युद्ध के मैदान से दूर हिरासत केंद्रों में ले जाया जा सकता है, लेकिन ऐसा केवल सुरक्षा के आधार पर ही किया जाना चाहिए।