इंडिया न्यूज, ताईपेई: पिछले काफी समय से ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के रिश्तों में तल्खी बनी हुई है। चीन जहां ताइवान पर अपना कंट्रोल करना चाहता है वहीं ताइवान किसी भी कीमत पर अपनी आजादी खोना नहीं चाहता। इसी बीच अमेरिका ताइवान का खुलकर समर्थन कर रहा है। गत माह जब अमेरिकी सांसद ने ताइवान का दौरा किया था तो गुस्साए चीन ने ताइवान सीमा के बेहद करीब युद्धाभ्यास करके ताइवान को चेतावनी दी थी। इस दौरान चीन ने कई मिसाइलों का टेस्ट भी किया था। उस समय अमेरिका ने ताइवान का समर्थन करते हुए चीन को स्पष्ट चेतावनी दी थी।
रविवार को दो वारशिप पहुंचे ताइवान
अमेरिका ने चीन को उसकी ही भाषा में जवाब देते हुए अपने दो वारशिप ताइवान के लिए रवाना किए। ये दोनों एडवांस वारशिप रविवार को ताइवान की समुद्री सीमा में पहुंच गए। अमेरिका के इस कदम से आवाक चीन को ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी। लिहाजा ताइवान की समुद्री ताकत मजबूत होती देखकर तुरंत ही बीजिंग से बयान जारी किया गया कि अमेरिका ने हमारी सैन्य ताकत को ललकारा है लेकिन हमारा तनाव बढ़ाने का कोई मकसद नहीं है।
वैश्विक मुद्दों पर अक्सर आमने-सामने आ जाते हैं चीन-अमेरिका
अमेरिका ने चीन के साथ अपने रिश्ते 1979 में शुरू किए थे। लेकिन उसके बाद से ही लगातार दोनों महाशक्तियां किसी न किसी मुद्दे पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिखाई देती हैं। फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी तो अमेरिका ने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया था। इसमें चीन ने रूस का समर्थन करते हुए अमेरिका के खिलाफ मतदान किया था।
इसके साथ ही अब ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन आमने-सामने हैं। ताइवान अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका से हथियार खरीद रहा है और चीन चाहता है कि अमेरिका चीन और ताइवान के मामले से दूर रहे जिसके चलते दोनों देशों के रिश्तों में तनाव साफ झलक रहा है।
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