India News(इंडिया न्यूज),Vatican City: वेटिकन ने सोमवार को पोप फ्रांसिस द्वारा अनुमोदित एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि, रोमन कैथोलिक पादरी समान-लिंग वाले जोड़ों को तब तक आशीर्वाद दे सकते हैं जब तक वे नियमित चर्च अनुष्ठानों या धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा नहीं होते हैं। इसके साथ ही वेटिकन के सैद्धांतिक कार्यालय के एक दस्तावेज़ में कहा गया है कि, इस तरह का आशीर्वाद अनियमित स्थितियों को वैध नहीं करेगा बल्कि एक संकेत होगा कि भगवान सभी का स्वागत करते हैं।
जानें क्या कहा..
जानकारी के लिए बता दें कि, इस एतिहासिक फैसले में कहा गया कि, पुजारियों को मामले-दर-मामले के आधार पर निर्णय लेना चाहिए और “हर स्थिति में लोगों के साथ चर्च की निकटता को रोकना या प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए, जिसमें वे एक साधारण आशीर्वाद के माध्यम से भगवान की मदद मांग सकते हैं”।
दो पक्षों में बटे लोग
वहीं इस फैसले के आने के बाद लोग अब दो पक्षों में बंट गए। जिसमें कुछ लोगों ने इसे कैथोलिक चर्च में भेदभाव खत्म करने की दिशा में अहम कदम बताया है और इसकी सराहना की है। वहीं, समलैंगिक एक्सपर्ट का मानना है कि चर्च आम विवाहों से समलैंगिक विवाहों को कमतर मान रहा है। फ्रांसिस ने सुझाव दिया कि आशीर्वाद को समलैंगिक विवाहों की रस्म के साथ भ्रमित न किया जाए। वहीं एक दस्तावेज के की माने तो, पोप का कहना है कि विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच आजीवन मिलन है। समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने को कैथोलिक उत्सव या धार्मिक आधार से जोड़ना गलत होगा। आशीर्वाद में निर्धारित अनुष्ठानों का उपयोग नहीं किया जा सकता। दस्तावेज में पोप ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों के आशीर्वाद के अनुरोध को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। इसे वैध बनाने का कोई इरादा नहीं है। बल्कि, आशीर्वाद किसी के जीवन को ईश्वर के लिए खोलना, बेहतर जीवन जीने के लिए उसकी मदद करने का आह्वान करता है।
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