India News (इंडिया न्यूज), Operation Sindoor Analysis: भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर प्रभावशाली हमला कर आतंकवाद के खिलाफ अपनी सशक्त नीति को प्रदर्शित किया। इन लक्ष्यों में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय मुरीदके भी शामिल था, जिसे हाफिज सईद संचालित करता है। हाफिज सईद वही व्यक्ति है, जो भारत में कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड रह चुका है। अब उसी के पूर्व अनुयायी, नूर दहरी, ने लश्कर और सईद के आतंक के नेटवर्क की खौफनाक परतों को खोलना शुरू कर दिया है।


नूर दहरी: लश्कर से थिंक टैंक तक का सफर

नूर दहरी, जो कभी लश्कर का हिस्सा था, अब आतंक की दुनिया को त्याग कर ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक Islamic Theology of Counter Terrorism का निदेशक है। उसने हाल ही में हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े कई सनसनीखेज दावे किए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में नूर ने अपनी कहानी साझा की, जो इस आतंकी नेटवर्क की भीतरी कार्यप्रणाली को उजागर करती है।

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लश्कर में नूर की भूमिका

नूर दहरी ने खुलासा किया कि लश्कर-ए-तैयबा में रहते हुए उसे मुरीदके स्थित हाफिज सईद के स्थायी ठिकाने की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। यह स्थान न केवल सईद का मुख्यालय था बल्कि लश्कर का सबसे बड़ा ऑपरेशनल केंद्र भी था। नूर के अनुसार, हाफिज सईद अपनी नीली टोयोटा वीगो पिकअप (डैटसन) से यात्रा करता था, जिसे उसकी आवश्यकताओं के अनुसार विशेष रूप से तैयार किया गया था।


युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग कैंप में भेजने की रणनीति

नूर ने दावा किया कि हर गुरुवार, पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से करीब 500 युवाओं को अफगानिस्तान के कुनार प्रांत स्थित ‘मास्कर तैयबा’ ट्रेनिंग कैंप में भेजा जाता था। ये युवा हाफिज सईद के उग्र भाषणों से प्रेरित होकर लश्कर से जुड़ते थे। लेकिन इनमें से ज्यादातर कभी लौटकर नहीं आए।

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आतंकी संगठन का भयावह नेटवर्क

नूर के अनुसार, आज लश्कर-ए-तैयबा के पास लगभग 10 लाख प्रशिक्षित आतंकी हैं। यह संगठन अब पाकिस्तान में एक राजनीतिक ताकत के रूप में भी काम कर रहा है। उसने आरोप लगाया कि हाफिज सईद ने हजारों युवाओं को आतंकी गतिविधियों में झोंक दिया ताकि राज्य के राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।


आतंक की दुनिया छोड़ने का फैसला

अफगानिस्तान और कश्मीर में बिताए अनुभवों ने नूर को अंदर से तोड़ दिया। जब उसने संगठन छोड़ने की इच्छा जताई, तो उसे लश्कर के कमांडरों ने कायर कहा। लेकिन नूर का कहना है, “मैं कायर नहीं था, बल्कि सच्चाई से जाग गया था।”

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नूर दहरी की चेतावनी

नूर ने अंत में लिखा, “मैं खुश हूं कि आज मैं वहां नहीं हूं, जहां हाफिज सईद मुझे देखना चाहता था। अल्लाह ने मुझे चुना है कि मैं इन इस्लामी कट्टरपंथियों का असली चेहरा दुनिया के सामने लाऊं।”


नूर दहरी की इस गवाही ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी नेटवर्क और पाकिस्तान में इसके राजनीतिक प्रभाव को उजागर किया है। भारत का ऑपरेशन सिंदूर न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त संदेश था, बल्कि आतंकवाद के वास्तविक स्वरूप को दुनिया के सामने लाने का प्रयास भी। हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में नूर जैसे लोगों की गवाही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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