India News (इंडिया न्यूज), China Two Sessions meeting: आखिरकार चीन में वो बैठक शुरू हो ही गई, जिस पर दुनिया के कई देशों की नजर है। मंगलवार से शुरू हुई चीन की टू-सेशंंस मीटिंग बैठक एक हफ्ते तक जारी रहेगी। इसमें 5 हजार से ज्यादा प्रतिनिधि जुटेंगे। चर्चा है कि अमेरिका के नए टैरिफ का जवाब देने के लिए बैठक में कोई अहम कदम उठाया जा सकता है। चीन की अर्थव्यवस्था धीमी है। बैठक के एजेंडे में यह सबसे ऊपर है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसके लिए चीन के दिग्गज जुटे हैं।

चीन की राजधानी बीजिंग में चल रही दो-सत्रों की बैठक में खासकर अर्थव्यवस्था और सेना को लेकर कई फैसले लिए गए हैं। इस बार भी सबसे बड़ा मुद्दा यही है। जानिए इस बैठक को दो-सत्रों की बैठक क्यों कहा जाता है, इस बार क्या मुद्दे हैं और इस पर क्यों चर्चा हो रही है।

टू-सेशंंस मीटिंग क्या है?

सरल भाषा में समझें तो यह बैठक दो हिस्सों में बंटी होती है। पहला हिस्सा विधायिका का होता है और दूसरा हिस्सा राजनीतिक सलाहकार निकाय का होता है। यानी जो सलाहकार होते हैं। बैठक की शुरुआत चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (CPPCC) से होती है। यह एक राजनीतिक सलाहकार समिति है। इस समिति में चीन के कई बड़े नाम शामिल किए गए हैं। अभिनेता जैकी चैन भी इसका हिस्सा हैं।

यह समिति चीनी संसद के सदस्यों को नीति के बारे में सुझाव देती है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि समिति के सुझावों पर सांकेतिक रूप से विचार किया जाता है, यानी इसका राष्ट्रीय नीति पर बहुत कम असर होता है। तो सवाल यह है कि इस बैठक में किसका ज़्यादा प्रभाव है? आइए अब इसे समझते हैं।

इसे रबर स्टैंप संसद क्यों कहा गया?

इस बैठक में सबसे ज़्यादा ध्यान चीनी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) पर है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस सत्ता का सर्वोच्च अंग है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस प्रांतों, स्वायत्त क्षेत्रों, सीधे केंद्र सरकार के अधीन नगरपालिकाओं और विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों से चुने गए प्रतिनिधियों और सशस्त्र बलों से चुने गए प्रतिनिधियों से बनी है। इसके दो-तिहाई सदस्य चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से हैं। NPC उनके द्वारा रखे गए प्रस्ताव को कभी खारिज नहीं करती। यही वजह है कि इसे रबर स्टैंप संसद कहा जाता है क्योंकि इसका काम पार्टी नेतृत्व द्वारा लिए गए फैसलों को लागू करना होता है।

चीन की यह बैठक क्यों अहम, दुनिया की नजर क्यों है?

भले ही इस बैठक में राजनीतिक बहस उस तरह से नहीं होती जैसी होनी चाहिए, लेकिन यह चीन की प्राथमिकताओं को सामने लाने में अहम भूमिका निभाती है। दो सत्रों की बैठक में खास तौर पर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने, सेना का दायरा बढ़ाने और विदेशी मुद्दों पर बात होती है। प्रधानमंत्री इसके सत्र का उद्घाटन करते हैं और कार्य रिपोर्ट पेश करते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि आने वाले समय में वे आर्थिक लक्ष्यों को कैसे पूरा करेंगे। किस रणनीति के जरिए लक्ष्य हासिल किया जाएगा। विदेश मंत्री इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे और वैश्विक तनाव और कूटनीति की चुनौतियों पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे। यही वजह है कि दुनिया के वे देश जिनकी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था चीन की वजह से प्रभावित हो सकती है, उनकी इस बैठक पर नजर है।

बाबर आजम को बस एक महीने में Travis Head बना दूंगा, योगराज सिंह का दावा? क्रिकेट जगत में मची खलबली

कोविड के बाद चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ गई। सालों बाद भी गाड़ी पटरी पर नहीं आ पाई है। इसे सुधारने पर चर्चा होगी। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ का जवाब देने की रणनीति बनाई जा सकती है, जिस पर सबकी नजर है।

18 घंटे 18 मिनट ही चली सदन की कार्यवाही, स्पीकर गुप्ता ने बताया; कैग रिपोर्ट पर दिया बड़ा बयान