India News(इंडिया न्यूज), Russia Ukraine War: रूस से युद्ध लड़ रहे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की का रौद्र रूप पहली बार दुनिया के सामने आया है। शुक्रवार को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान जेलेंस्की खूब गरजे। कैमरे के सामने ही जेलेंस्की ने ट्रंप को खरी-खोटी सुनाई। दोनों के बीच करीब 9 मिनट तक बहस चलती रही। आखिरकार ट्रंप ने बहस रोककर जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर भेज दिया। दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने जेलेंस्की का खुला मोर्चा पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।

जेलेंस्की और जो बाइडेन की दोस्ती

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, जेलेंस्की के पास खोने को कुछ नहीं है। जेलेंस्की कॉमेडी के जरिए राजनीति में आए थे। जब उन्होंने यूक्रेनी राजनीति में कदम रखा तो वहां भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा था। जेलेंस्की कॉमेडी के जरिए इसके खिलाफ आवाज उठाते थे। जनता ने जेलेंस्की को अपना समर्थन दिया और वे राष्ट्रपति बन गए। इसके बाद जेलेंस्की ने नाटो की सदस्यता लेने की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच रूस ने जेलेंस्की को चेतावनी दी, लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन से दोस्ती के चलते जेलेंस्की अपने फैसले पर अड़े रहे। आखिरकार फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया, तब से यूक्रेन बर्बाद हो चुका है। रूस ने ओब्लास्ट समेत कई शहरों पर कब्जा कर लिया है।

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यूक्रेन कर रहा ये कोशिश

यूक्रेन शांति समझौते के तहत अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रहा है। जेलेंस्की जानते हैं कि अगर ये जमीनें वापस नहीं मिलीं तो यूक्रेन में उनका टिक पाना आसान नहीं होगा। नाटो सदस्यता पर अमेरिका के यू-टर्न से पहले ही जेलेंस्की बैकफुट पर हैं। अगर जेलेंस्की अमेरिका के सामने खड़े नहीं हुए तो इसका सीधा असर यूक्रेन की जनता पर पड़ेगा। जेलेंस्की ट्रंप के जरिए अपनी जनता को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।

जेलेंस्की को कौन कर रहा मदद?

जहां अमेरिका ने यूक्रेन से मुंह मोड़ लिया है, वहीं यूरोपीय देश यूक्रेन के पीछे मजबूती से खड़े हैं। ब्रिटेन और फ्रांस के प्रधानमंत्रियों ने इसका खुलकर समर्थन किया है। ब्रिटेन और फ्रांस संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य हैं। दोनों देशों के पास आधुनिक हथियार भी हैं। ब्रिटेन ने तो अपने सैनिक भेजने की बात भी कही है। दूसरी तरफ फ्रांस का कहना है कि रूस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। खास तौर पर पुतिन की बातों पर। ब्रिटेन और फ्रांस के राष्ट्रपति भी डोनाल्ड ट्रंप से मिल चुके हैं। यूरोप में इन दो महाशक्तियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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यूक्रेन के समर्थन में है जर्मनी

इसके अलावा, जर्मनी भी यूक्रेन के समर्थन में है। पोलैंड ने भी खुलकर यूक्रेन का समर्थन किया है। ऐसे में जेलेंस्की को पता है कि रूस भी शांति के लिए उसकी शर्तें मान लेगा। दूसरी तरफ रूस भी इस युद्ध से थक चुका है। कीव इंडिपेंडेंट के मुताबिक, युद्ध में अब तक 8.47 लाख रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। 370 विमान और 331 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। युद्ध के दौरान यूक्रेन ने 10 हजार से ज्यादा टैंक और 23 हजार से ज्यादा रूसी तोपें नष्ट कर दी हैं। युद्ध में हथियारों की कमी से जूझ रहा रूस उत्तर कोरिया से मदद ले रहा है।

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